अभिशापित बंग्ला
अभिशापित बंग्ला
बंगले से निकल कर एक लड़की बदहवास सी मेन गेट की तरफ भागी जा रही थी उसे अपनी जान बचाने के अलावा और किसी चीज की सुध नही थी इस बात की भी नही कि आसमान में बादल गरज रहे है बिजली रह - रह कर चमक रही थी । कुछ - कुछ देर पर सियारों के रोने की आवाजें आ रही थी । कुल - मिला कर मौसम इतना भयावह और डरावना था कि अच्छे - खासे इंसान को डर लग जाए पर उस लड़की को इन सब से कोई फर्क नही पड़ रहा था .. इस बात से भी नही कि उसके पैर नंघे है और उसके पैरो से खून निकल रहा है , उसके कपड़े जगह - जगह से झाड़ियों में उलझ कर फट गए । उसे फिकर थी सिर्फ अपनी जान बचाने की .. कोई तो ऐसी चीज थी जिससे वो भयभीत थी जिससे डरकर वो - कभी "बचाओ" तो कभी "कोई है" चिल्ला रही थी । तभी उसकी नजर सामने गेट पर पड़ी जो खुली हुई थी । उसके अपने नयी ताकत को महसूस किया और तेजी से गेट के पार निकल जाना चाहती थी । उसके पीछे कई लोग और बंगले से निकले और उसे - उसके नाम से बुला कर रोकने का प्रयास कर रहे थे - "शांति , रुक जाओ" पर शांति नाम की वो लड़की उनकी आवाज़ को सुन ही नही रही थी । शांति गेट के नजदीक पहुँची और उसे पार करने ही वाली थी की - कही से उड़ता हुआ एक बड़ा सा लकड़ी का क्रॉस ( ईसाइयों वाला क्रॉस - जो प्रभु ईसा - मसीह की निशानी है ) का नुकीला हिस्सा शांति के पीठ की तरफ से उसके शरीर में घुसा और दिल को चीरता हुआ निकला .. शांति की दर्द भरी आखिरी चीख ने पूरे वातावरण मको गुंजायमान कर दिया । ये नजारा देख कर उसके पीछे आ रहे लोगों की चीख निकल गयी .. शांति के मुंह से खून निकल रहा था उसकी सांसे घुट - घुट कर निकल रही थी । आखिरी सांस लेते ही उसका बेजान शरीर सामने की और गिरा ..जिससे क्रॉस का नुकीला हिस्सा जमीन में धस गया .. नुकीले हिस्से के ऊपर शांति का शरीर था और उसके शरीर के पिछले हिस्से से क्रॉस का कई हिस्सा दिख रहा था । जिसने भी देखा उसकी रूह कांप गयी .. अजीब से नजारा था । उसके साथ आये लोग डर कर वापस बंगले के अंदर भागने लगे और अब उनके दिमाग में एक चीज बैठ चुकी थी .. कि .. उनमे से अब कोई नही बचेगा ।
फ्लैशबैक
समय - उसी दिन सुबह के 10
स्थान - दिल्ली यूनिवर्सिटी -
फॉरेंसिक विभाग के 6 स्टूडेंट कैंटीन में आपस में बैठ कर बातें कर रहे थे । उसका एग्जाम अभी - अभी खत्म हुआ है इसलिए जश्न मनाने की प्लानिंग कर रहे थे । इस ग्रुप का सदस्य था 'ओमवीर' जो पढ़ाई से ज्यादा मस्ती करने में अव्वल था उसका एक बेस्ट फ्रेंड है 'ऐंकी' जो बहुत डरपोक है और लड़ाई - झगड़े से दूर रहता है पर पढ़ाई में होशियार है, दोनों में बहुत अच्छी बनती है ।
कैंटीन से ऐंकी नाश्ता लेकर अपनी टेबल पर आता है जहां बाकी दोस्त उसका इन्तेजार कर रहे होते है । ओमवीर के ग्रुप में बाकी सदस्य है - रजत , मयंक , शांति और रीता
सब आपस में विचार - विमर्श करते है आज का दिन कैसे मनाया जाए । रीता का विचार था कि मूवी देखने चला जाए , वही मयंक का इरादा था कि - दारू पार्टी की जाए तभी शांति की नजर रजत पर पड़ी तो पेपर पढ़ने में मशगूल था । शांति ने तेजी से पेपर खीच लिया जिससे रजत हड़बड़ा गया ।
कहा खोये हो जनाब - (शांति ने पेपर खीचते हुए पूछा)
खोया नही हूं .. पेपर पढ़ रहा हूं (रजत ने दुबारा पेपर लेने का प्रयास किया)
तभी ओमवीर ने पेपर खीच लिया देखने के लिए -
हम देखे ऐसा क्या है जो साहब इतना गौर से पढ़े जा रहे हैं- (रजत ने पेपर पर नजर गड़ाते हुए कहा)
ओमवीर ने पढ़ना शुरू किया -
दिल्ली से करीब 35 किमी. की दूरी पर एक बंगला है जो लगभग 200 साल पुराना है जो उस जमाने के रॉय साहब ने बनवाया था पर कुछ ही दिनों बाद बंगले में अप्रत्याशित घटना घटने जिससे पूरा बंगला महज कुछ महीनों में खाली हो गया । तब से अब तक इसमे कोई नही रहा हालांकि कुछ लोग यहाँ रहने आये थे पर कहा गायब हो गए किसी को पता नही चला । अग्रेजो ने सुरक्षा की दृष्टि से यहां पर लोगो का आना जाना बन्द कर दिया पर अफवाहों ने इसे तब से इसे भूत बंगले के रूप में प्रसिद्ध कर दिया । इस बंगले से थोड़ी दूरी पर एक गांव बसा है रूपपुर नाम का वहां इस बंगले की कहानी मशहूर है उनका मानना है की ये बंगला भूतों का घर है और जो बंगले में जाता है वापस नही आता सिर्फ उसकी लाश मिलती है ऐसी लाश जैसे किसी जानवर ने खायी हो । ये अंधविश्वास है या सच पर ये खूबसूरत बंगला लगभग 100 सालों से ऐसे ही बंद है और न जाने कब तक बंद रहेगा ।
ओमवीर ने पढ़ना बन्द किया .. पेपर सके नजर उठा के देखा सभी उसी की तरफ देख रहे है ।
रीता - "बड़ी भयानक जगह है!"
ओमवीर - "पढ़ने में तो ऐसा ही लग रहा है पर मुझे लगता है वहां अंग्रेजो द्वारा कोई ऐसा कार्य किया जाता था .. जिसकी भनक वो नही चाहते थे गांव वालो को लगे इसलिए उन्होंने इस बंगले को बदनाम कर दिया है ।"
मयंक - "हो सकता है ऐसा हो .. ओह्ह नही .. मैं तुम्हारे चहरे की चमक देख कर समझ गया हु तुम हम सबको वहीं ले जाना चाह रहे हो ।"
मयंक की बात सुन बाकी साथी विरोध करने लगते है जिसमे सबसे पहला नाम ऐंकी का आता है .. उसे इन सब से बहुत डर लगता और जाने से साफ मना कर देता है परंतु आश्चर्य रूप से रजत तैयार हो जाता है । आधे घंटे तक चली बहस के बाद सभी किसी न किसी तैयार हो ही जाते है । ओमवीर किसी को नेम का लालच देता है किसी को फेम का । ओमवीर का तर्क था कि अगर उस बंगले में कोई भूत हुआ और उसे वो साबित कर पाए तो भी उनका नाम होगा और वहां अगर भूत नही मिले और अंग्रेजो के जमाने का कोई राज मिल गया तब भी फेमस हो जाएंगे । इस तरह में बातों में उलझा कर , सबको समझ कर तैयार कर लिया
रजत अपनी जीप ले आया था शाम को 6 बजे सभी दोस्त वापस मिले ऐंकी ने फिर से सभी को न जाने को कहा - पर उसको छोड़ बाकी सब तैयार थे और ऐंकी को भी मन - मारकर जाना पड़ा । जीप में सभी फोरेंसिक समान रख लिया गया । गाड़ी रजत चला रहा तथा सभी के अंदर डर और उत्सुकता का मिला - जुला भाव था । आधे रास्ते गाड़ी पहुँची ही थी .. कि अचानक गाड़ी का एक टायर पंचर हो गया । पहिया बदलने में आधा घंटा लग गया । ऐंकी थोड़ी - थोड़ी देर में मना करने लगता पर उसकी कोई नही सुन रहा था ।
एक स्थान पर पहुंच कर रजत ने गाड़ी रोकी सामने एक बंगला था । किसी तरह 2 घंटे की यात्रा कर इस स्थान पर पहुचे । रजत ने गाड़ी मेनगेट के सामने रोकी जहा अंग्रेजी और हिंदी में ये सावधानी अंकित थी!
'खबरदार ये भूत बंगला है इसमे घुसने की कोशिश न करे अन्यथा अपने मौत के जिम्मेदार आप खुद होंगे'
लो आ गये अपनी मंजिल पर - रजत ने सभी से कहा
मौसम शाम से अचानक खराब होने लगा था ऐसा लग रहा था जैसे जम कर बारिश होगी । सभी मंत्रमुग्ध हो कर बंगले की खूबसूरती को निहार रहे थे उन्होंने गेट खोल आर अंदर प्रवेश किया .. महल के चारों तरफ घास - फूस उग आयी थी । एक तरफ से पत्थर का रास्ता बना हुआ था बंगले तक जाने का उसी रास्ते से हो कर वे बंगले के दरवाजे एक पहुंचे । दरवाजा बन्द नही था हल्का से धक्का देने पर आराम से खुल गया ।बंगले में घुप अंधेरा था क्योकि ये बंगला 100 साल से बंद था इसलिए यहां रोशनी की कोई व्यवस्था नही थी । रोशनी के लिए वे सभी टोर्च अपने साथ ले कर आये थे । वे सभी बंगले के अंदर घुस गए और बड़े आराम से पूरे बंगले को घूम - घूम कर देख लिया । पूरे बंगले को घूमने में घंटे भर का समय लगा - उन्हें कुछ खास नही दिखा - रीता को एक जगह एक काली बिल्ली दिखी और मयंक को लोहे के कवच वाला एक पुतला .. बाकी और कुछ खास दिखाई नही दिया । ओमवीर को लगा की यहां आकर बहुत बड़ी गलती कर दी पर सिर्फ ऐंकी ही था जो बार - बार किसी और के भी होने के बारे में कहे जा रहा था पर सबने उसे नजरअंदाज किया ।
शांति की तभी चीख सुनाई दी जो उसने कुछ पीछे थी सभी दोस्त भाग कर उसके पास गए और उसे एक कमरे में पाया - शांति दीवार की तरफ देख सहम गयी थी सभी ने टोर्च की रोशनी में दीवार की तरफ देखा तो वहां खून से कुछ लिखा था -
'तुम लोग यहां आ तो गए हो पर यहां से जा नही पाओगे तुम सबकी मौत बारी - बारी से और इन्ही तरीको से होंगी -
1. फंदा , 2. जहर बुझी सुई , 3. तलवार , 4. क्रॉस , 5. आग , 6. बन्दूक की गोली'
इसको पढ़ कर अब हैरान रह गए इससे पहले कोई कुछ कह पाता रजत वहां से बाहर चला गया इससे पहले कोई उसे रोक पाता उसकी एक दर्दनाक चीख सुनाई दी सब एक साथ बाहर निकले तो देखा रजत का शरीर फंदे से झूल रहा था । रजत मर चुका था .. किसी को यकीन ही नही हुआ कि अचानक ये कैसे हो गया । शांति जोर - जोर से रोने लगी , ओमवीर ने किसी तरह रजत को फंदे से उतारा । रजत के शरीर में जो फंदा था उसका एक सिरा दूसरी मंजिल पर बनी सीढ़ी की रेलिंग पर था और उसका शरीर हवा में झूल रहा था ।
शांति , रजत के शव से लिपट कर रो रही थी और ऐंकी यहां से निकल जाने की सलाह दे रहा था पर अब भी कोई उसकी बात ध्यान से सुन्ना नही चाह रहा था । ओमवीर इस बात को मानने को तैयार नही था कि ये काम किसी भूत का है उसे लग रहा था कि ये काम किसी इंसान का है । मयंक और ओमवीर ने फैसला लिया की वो उसे हत्यारे को पूरे बंगले में खोजेंगे । रीता, शांति के साथ रुक गयी । ओमवीर जहां शांति से पूरे महल में खोज रहा था वही मयंक गुस्से में उस कातिल को खोज रहा था वही ऐंकी इस बंगले से बाहर निकलने के लिए रास्ता खोज रहा था ।
ओमवीर और मयंक अभी खोजना शुरू ही किये थे कि उन्हें ऐंकी की चीखने की आवाज़ सुनाई दी । मयंक और ओमवीर तुरंत भागते हुए उसके पास पहुंचे तो देखा रीता एक कमरे के सामने खड़ी है और कमरे के अंदर देखने पर उन्हें ऐंकी की लाश दिखी उसकी गर्दन पर एक मेडिकल सिरिंज घुसी हुई थी और उस सिरिंज में से बड़ी तीव्र गंध थी जैसे पोटैशियम सायनाइड हो । दोनों ने रीता की और देखा -
रीता ने कहा - 'मैंने नहीं किया .. मैं नही जानती ये कैसे हुआ ।'
कहते हुए वो कमरे से बाहर की और भागी और दोनों ऐंकी की लाश उठा कर रजत के पास ले आये । शांति अभी तक रजत के मृत्यु के शोक से निकली ही नही थी की उसे ऐंकी की मौत का गहरा धक्का लगा वो यही गुमसुम से बैठ गयी और बार बार एक ही बात कहने लगी कि - हमे यहां नही आना चाहिए था .. हमे यहां नही आना चाहिए था । दोनों मित्र की लाश को उठा कर उन्होंने बगल के एक कमरे में रख दिया ।
थोड़ी देर बाद उन्हें ध्यान आया की रीता तब से उन्हें दिखी नहीं है उन्होंने उसे खोजना शुरू किया की तभी उन्हें मेन दरवाजे से कोई आता हुआ दिखा । दोनों (ओमवीर और मयंक) ने उसे घूर कर देखा और उसके पास पहुंच गए ये सोच कर क्या पता यहीं कातिल हो पर पूछताछ में पता चला वो इंस्पेक्टर करण है और वो यहां नया है और आश्चर्य की बात उसे मेन गेट पर कोई सावधानी का बोर्ड दिखाई नही दिया । इससे पहले कि करण कुछ पूछ पाता उन्हें एक चीख सुनाई दी - रीता की चीख .. तीनों हग कर चीख के पीछे गए .. उन्हें एक कमरे में रीता दिखी वो एक किताबी आलमारी के सामने खड़ी थी उसका हाथ एक किताब पर जिसको उसने थोड़ा सा ऊपर की तरफ से उठाया हुआ था । रीता के पेट में एक तलवार घुसी हुई थी जैसे ही करण ने रीता का हाथ किताब से हटाया तलवार वापस अलमारी में चली गयी जैसे वो किताब तलवार को निकालने का बटन था । करण ने उस किताब को एक साइड में हो कर वैसे ही उठाया जैसे रीता ने उठाया था .. करण के उठाते ही तलवार बाहर निकली और जैसे ही उसने किताब को छोड़ा , तलवार वापस अपनी जगह पर पहुंच गयी । ओमवीर , रीता की लाश को लेकर उसी रूम में रख आया जहा उनके बाकी दोनों मित्रों की लाश थी ।
करण ने दोनों से पूछताछ शुरू की और सारा मामला जान लिया पर जैसे ही शांति को रीता के मरने की बात पता चली वो बुरी तरह से घबरा गयी और इधर - उधर भागने लगी इससे पहले की उसके बाकी दोस्त उसे रोक पाते वो बंगले के मुख्य दरवाज़े को खोल कर बाहर निकल गयी ।
बंगले से निकल कर शांति बदहवास सी मेन गेट की तरफ भागी जा रही थी उसे अपनी जान बचाने के अलावा और किसी चीज की सुध नही थी इस बात की भी नही कि आसमान में बादल गरज रहे है बिजली रह - रह कर चमक रही थी । कुछ - कुछ देर पर सियारों के रोने की आवाजें आ रही थी । कुल - मिला कर मौसम इतना भयावह और डरावना था कि अच्छे - खासे इंसान को डर लग जाए पर शांति को इन सब से कोई फर्क नही पड़ रहा था .. इस बात से भी नही कि उसके पैर नंघे है और उसके पैरो से खून निकल रहा है , उसके कपड़े जगह - जगह से झाड़ियों में उलझ कर फट गए । उसे फिकर थी सिर्फ अपनी जान बचाने की .. कोई तो ऐसी चीज थी जिससे वो भयभीत थी जिससे डरकर वो - कभी "बचाओ" तो कभी "कोई है" चिल्ला रही थी । तभी उसकी नजर सामने गेट पर पड़ी जो खुली हुई थी । उसके अपने नयी ताकत को महसूस किया और तेजी से गेट के पार निकल जाना चाहती थी । उसके पीछे कई लोग और बंगले से निकले और उसे - उसके नाम से बुला कर रोकने का प्रयास कर रहे थे - "शांति , रुक जाओ" पर शांति उनकी आवाज़ को सुन ही नही रही थी । शांति गेट के नजदीक पहुँची और उसे पार करने ही वाली थी की - कही से उड़ता हुआ एक बड़ा सा लकड़ी का क्रॉस ( ईसाइयों वाला क्रॉस - जो प्रभु ईसा - मसीह की निशानी है ) का नुकीला हिस्सा शांति के पीठ की तरफ से उसके शरीर में घुसा और दिल को चीरता हुआ निकला .. शांति की दर्द भरी आखिरी चीख ने पूरे वातावरण मको गुंजायमान कर दिया । ये नजारा देख कर उसके पीछे आ रहे लोगों की चीख निकल गयी .. शांति के मुंह से खून निकल रहा था उसकी सांसे घुट - घुट कर निकल रही थी । आखिरी सांस लेते ही उसका बेजान शरीर सामने की और गिरा ..जिससे क्रॉस का नुकीला हिस्सा जमीन में धस गया .. नुकीले हिस्से के ऊपर शांति का शरीर था और उसके शरीर के पिछले हिस्से से क्रॉस का कई हिस्सा दिख रहा था । जिसने भी देखा उसकी रूह कांप गयी .. अजीब से नजारा था । उसके साथ आये लोग डर कर वापस बंगले के अंदर भागने लगे और अब उनके दिमाग में एक चीज बैठ चुकी थी .. कि .. उनमे से अब कोई नही बचेगा ।
वर्तमान समय में -----
कुछ ही घंटो में 4 दोस्तो को खो देने पर ओमवीर की हालात खराब हो गयी थी उसे समझ ही नही आ रहा कि यहां हो क्या रहा है । उसे भी अब लग रहा था कि वाकई इस बंगले में कोई है पर करण इस बात को नही मान रहा था उसने दोनों को और कुछ तफ्तीश करने बाहर निकल गया तभी ओमवीर की नजर मयंक पर पड़ी वो कुछ खोज रहा था टोर्च की रोशनी में , पूरे बंगले में रोशनी का एक मात्र साधन सिर्फ टोर्च था । ओमवीर ने पूछा कि क्या खोज रहे हो पर मयंक ने जवाब नही दिया पर फिर उसे एक जगह अपनी गाड़ी की चाभी मिल गयी और उसे ले कर फौरन बाहर निकल गया । गाड़ी लोहे के मेनगेट से अंदर ले के आ चुका था । वो फटाफट गाड़ी में बैठा उसे इस बात का भी ख्याल नही था कि वो ओमवीर को पीछे छोड़ दे रहा है उसने गाड़ी स्टार्ट किया और बूम .. एक धमाके के साथ मयंक की कार और खुद मयंक जल गया ।
ओमवीर पागल से हुआ जा रहा था ये सब देख कर की तभी पीछे से किसी की आवाज़ आयी पता चला ये ऐंकी की आवाज़ थी ।
ऐंकी ने तब बताना शुरू किया कि ये उसका प्लान था क्योकि आज से 2 साल पहले उनकी एक जूनियर ने रैगिंग से तांग आ कर आत्महत्या कर लेती है वो लड़की उसकी प्रेयसी थी ये सब उसी की मौत का बदला लेने के लिए किया गया था इससे पहले की वो बन्दूक चला पता । करण के अपनी बंदूक चला दी और ऐंकी ओमवीर के ऊपर गिर पड़ा । ओमवीर ने उसे अपने ऊपर से हटाया तो मुस्कुराता हुआ
ऐंकी ने कहा - मेरी मौत सुई से नही गोली से लिखी थी और तुम्हारी मौत गोली से नही सुई से लिखी थी ।
इतना सुनने के उसे एहसास हुआ की उसके बाजू पर एक सुई लगी है इसके पहले करण कुछ कर पाता ओमवीर} भी वही गिर कर मर गया । उसने तुरंत ही अपना फ़ोन निकाला तो आश्चर्य में डूब गया क्योकि अब उसके फ़ोन में नेटवर्क आ रहा था उसने फ़ोन कर और पुलिस फ़ोर्स को आने को कहा - इससे पहले की वो फ़ोन रख पाता .. अंदर से एक काला साया बाहर आया और करण की गर्दन पकड़ कर बंगले के अंदर घसीट लिया । काला लिबास , बड़े नाखून और अजीब सी हसी वाली उस साये ने एक झटके ने करण का काम तमाम कर दिया और अब उसकी मुंडी काट कर अपने साथ ले जा रही थी ।