अभी नहीं तो कभी नहीं

अभी नहीं तो कभी नहीं

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मनीषा एक बिन मां की बेटी थी लेकिन उसके पापा ने मनीषा और उसके भाई मनीष को मां की कमी का एहसास नहीं होने दिया। दोनों बच्चों को अच्छी शिक्षा दी, जहां बड़ों को सम्मान देना सिखाया था वहीं अन्याय के खिलाफ बोलना भी सिखाया था। भाई बहन भी पापा का पूरा ध्यान रखते थे। पढाई के साथ साथ मनीषा घर के कामों में भी निपुण थी। पढाई पूरी होते ही मनीषा को एक अच्छी नौकरी मिल गई और मनीष भी बैंक की नौकरी के लिये तैयारी कर रहा था।


मनीषा के पापा को अब उसकी शादी की चिंता सताने लगी थी। एक दिन उनके कोई परिचित मनीषा के लिए रिश्ता ले कर आए। लड़का एक कंपनी में उच्च पद पर नौकरी करता था और परिवार में दो छोटी बहने एक भाई और मां बाप थे। मनीषा के पापा को जांच पडताल के बाद रिश्ता अच्छा लगा और मनीषा की रजामंदी से शादी की तारिख तय कर दी गई।

आज मनीषा की शादी थी। बारात आने की खबर सुनते ही दुल्हन के लिबास में सजी मनीषा के दिल की धडकने तेज हो गई थी। एक तरफ नयी जिंदगी की शुरुआत और दूसरी तरफ अपने परिवार को छोड़कर जाने की तकलीफ। जयमाला का समय हो गया था, मनीष अपनी बहन को लेकर आया जयमाला के लिए। हंसते मजाक करते हुए जयमाला हो गई।     

मनीषा के पापा और भाई बारातियों के सत्कार में लगे थे। खाना खाते समय लडके के भाई और बहनों ने मनीष को बेस्वाद खाने को लेकर ताना मारा लेकिन वो चुप रहा। थोड़ी देर बाद मनीष को ए सी ठीक से काम ना करने को लेकर ताना मारा। अब तो मनीष को देखते ही वो लोग किसी ना किसी चीज मेंं कमी निकालने लगे। मनीष ने उन्हें समझाने की कोशिश करी विनती भी करी लेकिन उनका बातें सुनाना बंद नहीं हो रहा था। 

धीरे धीरे बात मनीषा तक पहुंच गई। मनीषा ने अपने भाई को बुलाकर सबकुछ सुना और पापा को बुलाने को कहा। पापा के आते ही मनीषा ने उनसें कुछ बातें करी और लड़के के मां बाप से हाथ जोड़ माफी मांगी और बारात वापस ले जाने का अनुरोध किया। मनीषा ने साफ शब्दों में कहा कि जिस परिवार मे अभी से मेरा और मेरे परिवार का अपमान किया जा रहा है वहां आगे जाकर भी मुझे कभी सम्मान नहीं मिलेगा।

लड़के के पापा ने बात को सम्भालने के लिए मनीषा से बात करनी चाही लेकिन मनीषा ने यह कह कर बात करने से इंकार कर दिया कि आपको अपने बच्चों को समझाना चाहिए क्योंकि कल उनकी जब शादी हो तो आपको इस तरह के अपमान का सामना ना करना पड़े। अगर आज मैंने आवाज ना उठाई तो कभी नहीं उठा पाऊंगी। लड़की वाले हो या लड़के वाले सम्मान सबका समान ही होना चाहिए। 


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