अब मैं चैन से मर सकूँगी
अब मैं चैन से मर सकूँगी
अपने परिवार की चिंता करना अच्छा है लेकिन इतना भी न हो कि परिवार का कोई भी सदस्य अपना काम खुद न कर सके और सारी जिम्मेदारी एक औरत पर आ जाए तो क्या होता है इस हालात में...पढ़िये मेरी काल्पनिक कहानी ।
65 साल की वीनाजी एक चुस्ती, फुर्ती वाली महिला है। आज तक उन्होंने अपने घर और बाहर के काम स्वयं ही किये है। 3 बच्चों के साथ कभी भी घर मे कामवाली को आने नहीं दिया और अपने बच्चों से भी कोई काम नहीं करवाया। इसी का ही तो फल है कि आज दोनो बेटे इंजीनियर है। बेटी अपने ससुराल में खुश है वो भी डॉक्टर है। वीनाजी के पति अब रिटायर हो गए है। अपनी पोस्टमैन की नौकरी से अब दोनों मियां बीबी अपने दोनों बेटों के साथ घर में रहते है। बड़े बेटे की पत्नी उमा भी वीनाजी की काम मे मदद करती लेकिन वीना जी को उसका किया कोई काम पसंद नही आता। तो वीनाजी अब तक सारे काम करती है। एक दिन काम करते हुए वीना जी को चक्कर आ गया। वो फर्श पर गिर पड़ी। डॉक्टर को बुलाया गया तो डॉक्टर ने चेकअप कर कुछ टेस्ट लिखे और दवाई दी। डॉक्टर के जाते ही वीनाजी अपने बिस्तर से उठ गई और बोली मुझे कुछ नहीं हुआ है। आप सब ऐसे ही मेरी चिंता करते हो। ये डॉक्टर तो कुछ भी बोल देते है और चल पड़ी अपने काम करने। लेकिन उसके बाद से हर 3,4 दिन के बाद चक्कर आते। वीनाजी की तबियत अब खराब हो गयी थी। वो अब काम भी नही कर पाती। उमा अपने सारे काम समय पर ख़त्म कर अपनी सास के साथ बैठ कर बात करती कि अब आप काम करना बंद कर दो। मैं सब संभाल लुंगी लेकिन वीनाजी को उसकी कोई बात पसंद नहीं आती। अब रिपोट्स भी आ गयी। जिसे देखकर सभी घरवालों को बहुत हैरानी हुई कि इतनी active रहने वाली वीनाजी को हार्ट प्रॉब्लम है, और शरीर में खून की कमी है। यदि जल्दी उन्हें खून नहीं चढ़ाया गया तो वो मर भी सकती है। अपनी इस हालत में भी वीनाजी को अपनी कोई चिंता नही थी। उन्हें तो बस अपने परिवार की, सदस्यों की, और अपने दैनिक कामों की चिंता थी कि अब ये सब काम कैसे होंगे? डॉक्टर ने उन्हें अस्पताल में एडमिट कर लिया और उन्हें 3 बोतल खून चढ़ाया गया एक सप्ताह हॉस्पिटल में रहने के बाद वीनाजी जब घर आई तो उनकी बहू बोली आज से आप कोई काम नहीं करेंगी, आज से आप सिर्फ हुक्म करेंगी और आपके हुकुम का पालन हम आपके 3 नौकर यानि मैं और आपके दोनों बेटे करेंगे। अपने बहू के मुख से ऐसी बात सुनकर वीनाजी बोल पड़ी उमा बहू तुम ठीक कह रही थी। मुझे मेरी ग़लती का अहसास हो गया है। मुझे लगता था कि ये घर सिर्फ मेरा है लेकिन मैं गलत थी। ये तुम्हारा भी घर है और इस घर की जितनी जिम्मेदारी मेरी है, उतनी ही तुम्हारी भी हैं। अब तुम इस घर परिवार को संभालने के लिए बिल्कुल तैयार हो। अब तो मैं चैन से मर सकती हूं वीनाजी ने कहा... नहीं सासूमाँ आप मुझे और अपने परिवार को छोड़कर कभी मत जाना इतना कहकर उमा ने वीनाजी को गले लगा लिया। और पास खड़े दोनों बेटे मुस्कुराते अपनी माँ के गले लग गए।
दोस्तों हमारे देश मे भी कोरोना के चलते lockdown है आप सब भी उमा की तरह अपने परिवार के साथ मिल जुलकर सभी काम करो, खुश रहो। घर में रहो, सुरक्षित रहिये। अपनों के साथ यह मुश्किल समय कब बीत जाएगा पता भी नहीं चलेगा।