अब मान भी जाओ न
अब मान भी जाओ न
सुप्रिया और नीति दोनों बचपन से एक ही कक्षा में पढ़ती थी । इसी साल नवीं पास करके दसवीं में पहुँच गई । दोनों के घर भी पास ही थे याने पड़ोसी थे । सुप्रिया के पिता स्टेट बैंक में मैनेजर थे और नीति के पिता डॉक्टर थे । सुप्रिया जब छोटी थी तब ही उसके पिता की मृत्यु ब्रेन हेमरेज से हो गई थी । उसकी माँ सुलोचना को उसी ऑफिस में नौकरी मिल गई । अब उसका एक ही मक़सद था कि सुप्रिया को पढ़ा लिखा कर आगे बढ़ाना ।
एकदिन सुबह सुलोचना ने सुप्रिया को उठाया कि नीति रो रही है देखो क्या हुआ क्योंकि उसकी माँ गिरिजा की तबियत ठीक नहीं है ।
सुप्रिया जाकर देखती है नीति रो रही थी क्योंकि गिरिजा आँटी गुजर गईं थीं । सुलोचना ने बहुत मदद की थी उनकी पंद्रह दिनों के बाद नीति स्कूल आई और उसने बताया कि उसके पापा की शादी हो रही है मंदिर में अब मेरी सौतेली माँ आ जाएगी । मालूम नहीं कैसी होंगी मुझे बहुत फ़िक्र हो रही है । मेरी बुआ लोगों के कहने पर पापा ने हामी भरी थी । सुप्रिया घर पहुँच कर अपनी माँ से कहती है जब नीति के पिता दूसरी शादी कर सकते हैं तो आपने क्यों नहीं की । आप तो बहुत छोटी थी ।उस समय मैं भी एक साल की ही थी ।नानी ने आपको फ़ोर्स नहीं किया था क्या माँ ? सुलोचना ने कुछ नहीं कहा बस हँसते हुए उसे टाल दिया । नीति के दसवीं की परीक्षा होते ही वे लोग अलग शहर चले गए ।उसके बाद नीति से वह नहीं मिली । अपनी पढ़ाई पर ध्यान देते हुए सुप्रिया ने इंजीनियरिंग की परीक्षा पास की और बैंगलोर में ही उसकी एक अच्छी कंपनी में नौकरी भी लग गई । सुलोचना उसे छोड़कर कभी रही नहीं पर सुप्रिया के केरियर का सवाल था और साथ ही हैदराबाद वापस आ जाएगी यह भी विश्वास था इसलिए उसने भेज दिया ।
बैंगलोर में ही सुप्रिया को अपने सीनियर मोक्ष से प्यार हो गया था । उसने मोक्ष को सब बता दिया कि माँ की ज़िम्मेदारी उसकी ही है । मोक्ष ने उसके किसी भी बात पर एतराज़ नहीं जताई तब सुप्रिया ने अपनी माँ को अपने प्यार के बारे में बताया ।दोनों परिवारों को कोई एतराज़ नहीं था ।इसलिए शादी धूमधाम से संपन्न हो गई । बिदाई के समय सुप्रिया बहुत रोई कि "मैंने अपना रास्ता चुन लिया है और आपको अकेला ही छोड़ दे रही हूँ मैं बहुत स्वार्थी हूँ माँ......आप मेरे साथ आ जाइए न ।"
सुलोचना कहती है देख बेटा अभी तो मेरी बहुत सर्विस है बाद में आऊँगी ।आप लोग एनजॉय करो ।
महीने में एक बार सुप्रिया माँ से मिलने आ जाती है और मोक्ष उसे लेने आने के बहाने आ जाता था । एक दिन सुलोचना ऑफिस से आती है और चाय बनाती है तभी डोर बेल बजी जाकर देखती है तो सुप्रिया समझ में नहीं आता कि अभी कैसे आ गई क्योंकि दो दिन पहले ही तो गई थी । कुछ ख़ुशख़बरी है क्या पूछा हाँ माँ मोक्ष आने के बाद बताती हूँ कहती है । मोक्ष भी शाम तक पहुँच गया दोनों ने मिलकर "एक साथ कहा कि हम आपसे कुछ कहना चाहते हैं बुरा नहीं मानना ।" सुलोचना को डर लगने लगा कि क्या कहने वाले हैं । मोक्ष ने कहा "माँ कल आप ऑफिस से छुट्टी ले लीजिए हमें कहीं जाना है ।" सुलोचना ने कुछ नहीं कहा उसे डर था कि क्या सुनना पड़ेगा । खाना खा कर सब सोने चले गए सुलोचना की तो नींद ही उड़ गई थी । दूसरे दिन लंच के लिए तीनों तैयार हो गए और कार से निकल गए । वहाँ मेज़ पहले से ही रिज़र्व थी इसलिए कोई तकलीफ़ नहीं हुई !! सीधे वहाँ पहुँच गए । सुलोचना ने देखा वहाँ ऑलरेडी एक व्यक्ति बैठे हुए थे जिनकी आयु पचास के आसपास की थी । सुप्रिया और मोक्ष दोनों ने उनसे हाथ मिलाया और कहा माँ सुलोचना जी और सुलोचना से कहा अजय अंकल हैं आप दोनों बातें कीजिए हम अभी आते हैं दोनों वहाँ से निकल गए ।
उन्हें देख सुलोचना ने सोचा कितने सादगी से हैं हेंडसम भी हैं । अजय ने भी सोचा बहुत सुंदर है । अजय ने ही बातचीत का सिलसिला शुरू किया और कहा देखिए सुलोचना जी हम बड़े हो गए हैं मैं बातें घुमा फिराकर नहीं कहना चाहता । मैं सुप्रिया और मोक्ष से पहले ही मिल चुका हूँ । उन्होंने आपके प्रोफ़ाइल को शादी डॉट कॉम में अपलोड किया था । मुझे वह बहुत अच्छा लगा मैंने उन दोनों से पूछताछ की आपके बारे में मेरी पत्नी दस साल पहले गुज़र गई थी ।हमारे बच्चे नहीं थे । वह हमेशा बीमार रहती थी । बीमारी की वजह से ही एक दिन वह मुझे छोड़कर चली गई । इन दस सालों में परिवार वालों ने बहुत बार शादी के लिए कहा पर मैं तैयार नहीं था ।अब मुझे भी मेरा अकेलापन खलता है ।इसलिए मैंने भी एक साथी के बारे में सोचना शुरू किया था । आपके बारे में जानने के बाद मैंने आपसे मिलने के लिए सोचा था । अगर आप चाहें तो हम एक-दूसरे के साथी बन सकते हैं ।
मुझे भी कोई आपत्ति नहीं थी ।इसलिए मैंने हामी भरी । बच्चों ने दूर से ही हम दोनों को हँसते हुए बातें करते देख समझ गए कि हमारी क्या राय हो सकती है ।बस एक सप्ताह में ही मेरे भाई और अजय की बहनों तथा मोक्ष के माता-पिता के समक्ष हम लोग विवाह बंधन में बंध गए । सुप्रिया और मोक्ष को हम दोनों एयरपोर्ट पर छोड़ने गए दोनों बहुत खुश थे क्योंकि अब सुप्रिया को कभी भी नहीं लगेगा कि माँ अकेली है । मैंने उनके लिए कुछ नहीं किया ।