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Shailaja Bhattad

Inspirational

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Shailaja Bhattad

Inspirational

अब की होली

अब की होली

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"मीनू ऐसे उदास क्यों बैठी हो ? कुछ बुरा सोच रही हो क्या?"  - खेल के मैदान में मीनू के सभी मित्रों ने एक साथ पूछा।  

हाँ ! यही समझ लो।"  मीनू ने कहा। 

"समस्या क्या है? हम सबको बताओ, शायद हम तुम्हारी कुछ मदद कर सकें।" मीनू के मित्रों ने कहा। 

"इस बार होलिका दहन में पुनः पेड़ कटेंगे, हरियाली फिर से दाँव पर लगेगी, हमारी खुशी किसी के आँसुओं का सबब बनेगी।"  मीनू ने व्याकुलता से कहा। 

"ऐसा कुछ भी नहीं होगा इस बार, क्योंकि आज ही मैंने माँ को फोन पर किसी से बात करते सुना है"। सोनू ने बताया।

 "क्या सुना है?" सभी उत्सुकता वश एक साथ पूछ बैठे। 

"यही कि, सब लोग मिलकर औषधीय गुण वाली सूखी टहनियों और पत्तों से होलिका दहन की विधि पूर्ण करेंगे और सब कल आयुर्वेदिक दुकान पर जाकर गिलोय, नीम, लोबान,सुखी लकड़ी, तुलसी, कपूर व अन्य औषधीय गुण वाले पौधों की सूखी टहनियाँ व सूखे पत्ते लेकर आने वाले हैं । इनका धुआँ हम सबके लिए लाभप्रद होगा"।

साथ ही आसपास के बगीचों में रोज माली सफाई करते वक्त जो सूखे पत्ते टहनियाँ डस्टबिन में डालता है वह सब भी हम माली से होलिका दहन में इस्तेमाल करने के लिए लेकआएँगेे  । 

"यानी हमारी खुशी में सबकी खुशी शामिल होगी। वाह! हमारे बड़े कितना अच्छा सोचते हैं। तो फिर देर किस बात की चलो तैयार हो जाओ हम भी इस नेक काम का हिस्सा बनेंगे।" मीनू ने चहकते हुए कहा 

मीनू सभी मित्रों के साथ घर की ओर दौड़ पड़ी।


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