आत्मनिर्भर
आत्मनिर्भर
माधुरी की सास ने बड़े गर्व से अपने पड़ोसियों के बीच अपनी रौब झाड़ी और कहा कि "हम दकियानूसी सोच वाले नही ,हमारी बहू घर से बाहर नौकरी के लिए जाती है और वह आत्मनिर्भर है।"
पड़ोस की महिलाएँ भी हाँ में हाँ मिलाते हुए बोलीं की "सचमुच आप दरियादिल हो।वरना इस गाँव में तो बहुएं मरती भी रहें पर वो घर से बाहर कदम रखकर अस्पताल तक नही जा सकतीं।"
माधुरी की सास के चेहरे पर गर्व मिश्रीत तेज था।
तभी माधुरी अपने काम से लौटते हुए हाथ में भारी झोला ,कांधे पर पर्स और पल्लू को दाँत से दबाए हुए आते दिखी।माधुरी की सास ने कहा कि सारा सामान ले आई उसने कहा -हाँ
रसीद कहाँ है?
माधुरी ने रसीद पकड़ाये।
"और बाकी बचे पैसे?"
माधुरी ने कहा कि कुछ जरूरी काम थे आफिस में पार्टी थी तो देना पड़ा।माधुरी की सास ने लगभग चिल्लाते हुए कहा-"तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई बिना पूछे देने की?"
माधुरी काँपने लगी ,और पड़ोस की औरतें सोच रही थीं अच्छा इस तरह दकियानूसी सोच से बाहर निकला जाता।और ऐसे है उनकी बहू आत्मनिर्भर।