आत्मावलोकन
आत्मावलोकन
अभी कल परसों ही एक "मी लॉर्ड" ने किसी भाषण में कहा था कि सरकारों को रोज रोज आत्मावलोकन करना चाहिए। बड़ा क्रांतिकारी बयान था वह। खूब प्रशंसा बटोरी इस बयान ने। मीडिया में यह बयान ब्रेकिंग न्यूज में चलने लगा। अखबारों की सुर्खी बना। अनेक कलम घसीटू पत्रकार इस क्रांतिकारी बयान का विश्लेषण करते रहे और सरकारों की कार्यप्रणाली पर इसे सुप्रीम डंडा बताते रहे।
बड़ा अच्छा शब्द है ये आत्मावलोकन। लिखने, पढ़ने, सुनने और बोलने में कितना अच्छा लगता है। एक महानता की सी फीलिंग आती है। ऐसा लगता है कि किसी महान व्यक्ति के महान मुख की महान जिव्ह्या से महान शब्द निकले जिसने समाज में महान हलचल उत्पन्न कर दी और सरकारों को महान सीख दे दी। जब किसी भाषण में किसी शास्त्र के श्लोक , धर्म, आत्मा, परमात्मा का उल्लेख हो जाता है तो वह भाषण भी दैवलोकीय सा लगता है। ब्रह्मवाणी की तरह वह आवाज सीधे आत्मा में प्रवेश करती सी लगती है। श्रोताओं पर ऐसे व्याख्यान का विशेष प्रभाव पड़ता है। ऐसा लगता है कि हम जन्नत की सैर कर रहे हैं और वहां पर ऋषि मुनियों के प्रवचन चल रहे हैं।
आत्मावलोकन का मतलब क्या है ? बहुत ढूंढा मगर कहीं इसका अर्थ नहीं मिला। फिर गूगल मैडम की शरण में जाना पड़ा। अब तो ऐसा लगता है कि आत्मा, परमात्मा , जन्म, मरण, जीवन वगैरह के बारे में गीता, उपनिषद वगैरह पढ़ने की जरूरत ही नहीं है। सीधा गूगल करो और ज्ञान गंगा में डुबकी लगाओ। हम भी लगाने लगे।
आत्मावलोकन का मतलब है आत्मा की ओर झांकना। आत्मा को देखना। पर समस्या यह है कि अब आत्मा कहाँ जिन्दा बची है ? वह तो कब की मार दी गई। उसे तो पीस दिया गया। अब जो चीज अस्तित्व में ही नहीं है उसका अवलोकन कोई कैसे करे ? मी लॉर्ड तो महाज्ञानी हैं। कानून से ज्यादा बाकी विषयों का ज्ञान रखते हैं। दही हांडी की कितनी ऊंचाई होनी चाहिए। दही हांडी में कितने किलोग्राम दही डाला जाना चाहिए। शिवजी पर दूध चढ़ाना चाहिए या नहीं ? महिलाओं को मंदिर में जाना चाहिए या नहीं ? सांड की लड़ाई होने से पशुओं पर कितनी क्रूरता होती है ? उनके "पशु अधिकार" कितने प्रभावित होते हैं ? पतंग उड़ाने से कितने पक्षीयों के पंख कट जाते हैं ? इससे कितनी पशु क्रूरता होती है ? दुनिया भर का ज्ञान इनके पास है। दुनिया भर के प्रवचन ये करते हैं। बहुत सारे प्रवचन केवल मौखिक होते हैं लिखित नहीं। ये मेरी आज तक समझ में नहीं आया कि जो प्रवचन मौखिक दिये जा सकते हैं वे लिखित क्यों नहीं हो सकते हैं। इसका मतलब मौखिक प्रवचन केवल मीडिया की सुर्खियां बटोरने के लिए ही दिये जाते हैं। यह तो कुछ इस प्रकार का है कि कोई दस्तावेज तो पत्रावली में संलग्न कर दिया जाये लेकिन उस पर प्रदर्श नहीं डाला जाये। इसलिए वह दस्तावेज निर्णय का भाग तो नहीं रहेगा लेकिन लोग उसे दस्तावेज मानने की भूल करते रहेंगे। कुछ कुछ वैसे ही कि अखबारों में मी लॉर्ड के प्रवचन पढ़कर लोग "धन्य धन्य" का जयघोष करते रहेंगे और मी लॉर्ड न्याय के देवदूत दिखते रहेंगे।
सब कामों के लिए समय है मी लॉर्ड के पास। कोरोना में सरकार ने क्या किया और क्या नहीं किया। प्रदूषण घटाने को सरकार क्या कर रही है और क्या नहीं कर रही है। लेकिन इसके लिए समय नहीं है कि सालों से जिन अपराधियों के खिलाफ केस दर्ज कराये हैं उन अपराधियों को सजा हुई या नहीं ? फरियादी की एडियां कितनी घिस गई इसे देखने के लिए वक्त नहीं है। दादा ने केस किया और पोता तारीख भुगत रहा है। उसे देखने को फुर्सत नहीं है। मी लॉर्ड जिन अपराधियों को जमानत पर छोड़ देते हैं और वही अपराधी उससे भी भयंकर और अपराध करते हैं , तब मी लॉर्ड आत्मावलोकन क्यों नहीं करते ? शायद इनकी आत्मा नेताओं से पहले मर चुकी है। अपराधी जमानत पर छूटकर गवाहों को धमकाते हैं। सबूत नष्ट करते हैं और फिर बरी हो जाते हैं। यही है न्याय मी लॉर्ड ? कभी कभार आप भी आत्मावलोकन कर लीजिएगा, अच्छा लगेगा। पर उपदेश कुशल बहुतेरे। एक दुर्दांत अपराधी जिसने सैकडों हत्याएं की हों , दसियों बलात्कार किये हों और जो समाज का दुश्मन हो उसे आप बार बार जमानत पर छोड़ देते हैं। वह अपराधी समाज के लिए नासूर बन जाता है। अगर उस अपराधी का एनकाउंटर कर दिया जाये तो आप बवंडर खड़ा कर देते हैं। जब वह अपराधी सरेआम लोगों को मार रहा होता है और आप चुपचाप देख रहे होते हैं मगर जैसे ही उसका एनकाउंटर होता है तो अचानक आपकी आत्मा जाग जाती है और आप नेता, पुलिस सबको जेल भेज देते हो। फिर आठ दस साल उन्हें जेल में रखकर आप ही उन्हें बाइज्जत बरी कर देते हो तब क्यों नहीं आपको जेल में डाला जाये ? लेकिन आप तो सबसे ऊपर हैं। आप पर ना तो भ्रष्टाचार के आरोप लगेंगे और ना ही कोई ऐजेंसी आपकी जांच करेगी। आपको हटाने का तो कोई प्रावधान है ही नहीं। कोई अनिवार्य सेवानिवृति तो होती नहीं है आपकी।
अभी कल परसों ही एक बड़ी विचित्र घटना घटी। एक पूर्व कानून मंत्री ने अपनी एक किताब में हिन्दुत्व की तुलना बोको हरम और आई एस आई एस से कर दी। एक जागरूक नागरिक मी लॉर्ड के पास याचिका लेकर चला गया। गजब का ज्ञान पिलाया मी लॉर्ड ने। कहा कि आपको पसंद हो तो पढ़िये वह किताब और पसंद नहीं हो तो मत पढ़िये। बहुत सुंदर प्रवचन दिया। सच में आत्मा प्रसन्न हो गई। एक और केस था जिसमें बीफ को लेकर मी लॉर्ड ने बहुत शानदार प्रवचन दिया था कि सबको खाने पीने का मौलिक अधिकार है। कोई क्या खायेगा क्या नहीं खायेगा ये हम तय नहीं करेंगे। बहुत बढ़िया बात कही मी लॉर्ड आपने। यही तो हम भी कह रहे हैं कि हम कोई त्यौहार कैसे मनाएंगे कैसे नहीं मनायेंगे यह तय करने वाले आप कौन होते हैं ? आपको न तो जनता ने चुना और न ही आप कोई परीक्षा पास करके आये। बस, मी लॉर्ड के द्वारा , मी लॉर्ड के लिए मी लॉर्ड्स में से ही नियुक्त कर लिये जाते हैं और फिर खुद को भगवान से भी ऊपर समझने लगते हैं। दुनिया भर का ज्ञान पिलाने लग जाते हैं।
दूसरों को उपदेश देना बहुत आसान होता है , मी लॉर्ड। खुद पर अमल करना बहुत मुश्किल। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर न जाने कितने देशद्रोहियों, आतंकवादियों और जहर उगलने वालों को छोड़ चुके हैं आप ? कितने हत्यारे, बलात्कारियों को बरी कर अपराधों को बढ़ावा दे चुके हैं आप ? कभी सरकारों को कोसने और उन पर सवारी करने से फुर्सत मिल जाये तो आत्मावलोकन अवश्य कीजिए मी लॉर्ड। लोगों का आपसे भरोसा खत्म हो चुका है। अब कितने भी प्रवचन कर लो आपकी विश्वसनीयता संकट में है। मानहानि का डंडा चलाकर कब तक लोगों को खामोश रखेंगे आप ?