आशना
आशना
शनाया और आहिल एक ही साथ कॉलेज में पढ़ते थे। दोनों ने कभी एक दूसरे की ओर ध्यान नहीं दिया, और जब दिया तो बस झगड़ा ही हुआ। शुरुआत में तो दोनों के इतने झगड़े हुए कि पूछो मत।
एक बार उनके कॉलेज ने कई किस्म की प्रतियोगिताएँ आयोजित की। आहिल और शनाया ने भी भाग लिया। तभी शनाया ने एक प्रतियोगिता के दौरान अपनी सहेलियों को ज़बरदस्ती मंच पर बुला लिया। उसी वक्त आहिल ने पहली बार शनाया की ओर ध्यान दिया।आहिल समझने लगा कि शनाया गुस्से वाली और बहुत झगड़ालू किस्म की है।उसी प्रतियोगिता में आहिल ने अपनी गायकी की प्रतिभा दिखाई। उस वक्त शनाया को मालूम पड़ा कि आहिल नाम का कोई लड़का इस दुनिया में है।फिर किस्मत ने ऐसा खेल खेला कि उनके अध्यापकों ने उन्हें एक साथ एक नाटक में भाग लेने को कहा।
उसी नाटक के दौरान वे दोनों अच्छे से मिले।
मगर, आहिल का यूँ अपनी प्रतिभा बघारना शनाया को कहीं न कहीं खल गया। और उसे आहिल से चिढ़ होने लगी।कुछ दिनों तक यूँ ही चलता रहा। शनाया उसे ज़बरदस्ती बर्दाश्त कर रही थी। फिर एक दिन उसे मालूम पड़ा के आहिल ने नाटक करने से मना कर दिया। शनाया को उस पर बहुत गुस्सा आया क्योंकि उन्होंने बहुत तैयारी कर रखी थी । उसने प्यार से आहिल को समझाने की कोशिश की मगर वो नाकाम रही। और इसी वजह से उनका झगड़ा भी हो गया।शनाया को किसी और के साथ उस नाटक में भाग लेना पड़ा। मगर उसे आहिल की कमी खलने लगी।आहिल किन्हीं और कामों में व्यस्त था, मगर उसके आस पास ही होता था।
धीरे धीरे नजाने कैसे , शनाया आहिल की तरफ आकर्षित होती गयी। उसे आहिल से सच्चा प्यार हो गया था। शनाया बस आहिल के करीब रहने का बहाना खोजती। और प्रतियोगिता के आखिरी दिन वो नाटक मनोरंजन के लिए पेश करना था।अगले ही दिन उसे पता चला कि आहिल का वो आखिरी दिन होगा कॉलेज में। किसी कारणवश उसे पढ़ाई बीच में ही छोड़नी होगी। शनाया का दिल धक से रह गया। वो टूट चुकी थी...अभी कितना कुछ बाकी था...उसे आहिल से अपने प्यार का इज़हार भी तो करना था। उसकी नज़रों में अब आहिल के लिए प्यार सब को दिखने लगा था।
वो एकटक उसे देखती रहती थी। आहिल को थोड़ा अजीब लगता मगर वो चुप था।
देखते ही देखते वो प्रतियोगिता का आखिरी दिन भी आ गया , जो कि आहिल का भी आखिरी दिन था कॉलेज में।उसी दिन आहिल और कुछ लड़कों की लड़ाई हो गयी। वो लड़के शनाया के अच्छे दोस्त भी थे। मगर शनाया ने सबके सामने अपने दोस्तों से दगा की और आहिल का साथ निभाया। आहिल को यकीन नहीं हुआ , कि जो शनाया अपने दोस्तों के लिए मर भी सकती थी, उसी शनाया ने उसकी वजह से उन्हीं दोस्तों को छोड़ दिया।तभी उनके अध्यापक ने शनाया को मंच पर बुलाया और गाना गाने के लिए कहा।शनाया ने वही गीत सुनाया , जो आहिल ने कुछ ही दिनों पहले उसी मंच पर गाया था।
तुझसे ही तो मिली है राहत
तू ही तो अब मेरी है चाहत..
मेरा मन कहने लगा...
पास आके न तो दूर जा।'
सब तरफ तालियाँ गूँजने लगी। मगर किसी ने भी उसके गीत के चयन की तरफ ध्यान नहीं दिया, सिवाय आहिल के। आहिल को अब कुछ अटपटा सा लगने लगा।शनाया का यूँ एकटक उसे देखना, उसके लिए दोस्तों से लड़ना, वही गीत गाना जो उसने गाया था...ये सब बातें एक ही तरफ इशारा कर रहीं थी। मगर उसने फिर भी ध्यान नहीं दिया।
सब कार्यक्रम खत्म होने के बाद आहिल और शनाया का आमना सामना हुआ। शनाया अंदर से टूट रही थी , आहिल उससे नज़रें चुरा रहा था।दोनों के पास ढेरों बातें थी कहने को मगर चुप रहे।तभी उनके एक दोस्त ने मार्कर उठाया और आहिल की शर्ट पर कुछ लिख दिया...अलविदा।
एक एक करके सभी ने कुछ न कुछ लिखा। शनाया ने भी कुछ लिखा था ' उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभ कामना'।जब उनके दोस्त मार्कर लौटाने जा ही रहे थे कि शनाया ने मार्कर छीना।उसने आहिल की शर्ट के आगे की तरफ कुछ लिखा।उसने अपना नंबर लिखा था।शनाया वहाँ से निकल गयी। वो इतनी दुखी थी मगर किसी से कुछ कह भी नहीं सकती थी।
बार बार उसे आहिल का ही चेहरा नज़र आता। उसे अफसोस हो रहा था कि उसने अपने दिल की बात क्यों नहीं कही। शायद प्यार के बदले दोस्ती भी खो जाने के डर से। उस दिन वो घर आकर बहुत रोई।अगले दिन उसे अपनी सहेलियों से पता चला कि अगले हफ्ते आहिल का जन्मदिन है ...और वो कॉलेज भी आएगा, कुछ दस्तावेज़ी काम के लिए।शनाया ने तो सिर्फ इतना सुना कि आहिल अगले हफ्ते कॉलेज आ रहा है। उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।उसने आहिल को अब तक का सबसे बढ़िया और नायाब उपहार देने का सोचा। चार दिन बीत गए मगर उसे कुछ सूझा ही नहीं।फिर उसने कुछ सोचा और मुस्कुराने लगी।
दो दिन बाद आहिल आया। शनाया ने उसे सबसे पहले जन्मदिन की मुबारकबाद दी। उसे हैरानी हुई कि शनाया को उसके जन्मदिन का कैसे मालूम पड़ा।
शनाया ने कहा कि उसे अक्सर ऐसी चीज़ें याद रह जाती हैं। आहिल ने उससे उसके दोस्तों के बारे में पूछा।शनाया ने कहा कि वो सभी कैंटीन में है। और वो यहाँ पर इसलिए थी कि सबसे पहले वो ही उसे मुबारकबाद दे सके। आहिल मुस्कुरा उठा।
जब आहिल जाने लगा तो शनाया ने उसके हाथ में एक कागज का टुकड़ा थमा दिया।और आहिल को पढ़ने के लिए इशारा किया।
कुछ पन्ने अभी सिमटे हैं
इन्हें ज़रा खुलने दो
तुम्हारे बनाए रंगों को
इनमें ज़रा घुलने दो
फिर ये किताब
तुम्हारी हो जाएगी
और तुम्हारी शख्सियत
इसी में खो जाएगी
कुछ इसमे दाग हैं
कहीं स्याही के, कहीं यादों के
कहीं खुशी के तो कहीं गम के
कुछ इसमे भाग है
थोड़ा वक्त लगेगा
पर तुम जान जाओगे
फिर कुछ यूँ होगा
तुम हर जगह , हमे ही पाओगे
हम खुद में ही कहानी हैं
हमें तुमको कब से सुनानी है
सोच लो, इसका हिस्सा बनना है
या इसे अपनी बनानी है
हर एक पन्ना एक नया राज़ खोलेगा
हर एक हर्फ़ एक नई बात बोलेगा
तुम बस वो पूरा पन्ना पढ़ो
अपनी परते हम खोलेंगे
समझने की जद्दोजहद नहीं करनी पड़ेगी
हम सरलता से अपनी बात बोलेंगे
बस तुम धैर्य मत खोना
किताब बीच में न छोड़ देना
उस आधे पढ़े पन्ने को
यूँ किनारे से न मोड़ देना
वरना वो अधूरापन
हमेशा साथ रहेगा
किसी ने हमें बीच में छोड़ा
सबसे ये बात कहेगा
अब धक से रहने की बारी आहिल की थी। आहिल को कुछ समझ नहीं आया कि क्या प्रतिक्रिया दे।शनाया जाने लगी तो आहिल ने उसे कॉफ़ी के लिए पूछा।शनाया ने हामी भर दी और चली गई।
दोनों बहुत खुश थे । आहिल के लिए सच में उससे यादगार कोई और तोहफा हो ही नहीं सकता था।अगले दिन दोनों कॉफ़ी के लिए मीले। थोड़ी देर चुप्पी के बाद आहिल ने ही बात शुरू की। और फिर बातों का ऐसा सिलसिला जारी हुआ जो कि बंद नहीं होना चाहता था। शनाया ने उससे कॉलेज छोड़ने की बात कही तो उसने मजबूरी कहकर वहीं बात खत्म कर दी।बातों ही बातों में आहिल ने शनाया से उसके दिल की बात जाननी चाही। और दोनों एक दूसरे से अनकहे लफ़्ज़ों में अपनी मोहब्बत का इज़हार कर चुके थे। फिर भी एक आखिरी मोहर बाकी थी।कुछ ही दिनों बाद एक अंजान नंबर से शनाया को फ़ोन आता है । फ़ोन आहिल का था।
उसने शनाया से आधिकारिक तौर पर अपने प्यार का इज़हार कर दिया। शनाया को कुछ समझ नहीं आया और वो इसे मज़ाक समझने लगी।वो ज़ोर ज़ोर से हँसने लगी। आहिल ने उसे बताया कि वो सच में उससे प्यार करता है। जब उसे एहसास हुआ कि आहिल सच में कह रहा था...वो खामोश हो गई।
दोनों को कुछ समझ नहीं आया कि क्या हो रहा था। दस मिनट बाद शनाया ने आहिल को फ़ोन किया और अपने दिल की बात उसे बता दी।दोनों को उनका पहला प्यार मुकम्मल मिला।
तकरीबन 4 साल तक दोनों उस रिश्ते में रहे। और फिर बहुत से पारिवारिक मनमुटाव के बाद आख़िरकार उनकी शादी हो गई।शादी के बाद तो आहिल उसे उसकी कविता लेखन के लिए और भी प्रोत्साहित करने लगा। धीरे धीरे शनाया भी अपना अलग मुकाम हासिल कर रही थी।शादी के 4 साल बाद शनाया और आहिल ने एक लड़की को गोद लिया।उन्होंने उसका प्यारा सा नाम रखा, आहिल और शनाया मिलाकर आशना।
आशना को घर में सभी से बहुत प्यार मिला। आहिल और शनाया की तो जान बसती थी उसमें।देखते ही देखते कुछ साल बीत गए।
मगर जल्द ही उनकी खुशियों को किसी की नज़र लग गई। एक कार हादसे में आहिल और शनाया की मौत हो गई और उनकी छोटी सी आशना बिखर गई। आशना का रो रो कर बुरा हाल था।आशना अब बड़ी हो चुकी थी। उसे उसकी दादी ने ही पाला।वो सच में आहिल और शनाया का मिलन थी। उसमें गायकी और लेखन..दोनों गुण थे।
आज उसका पहला स्टेज शो था। आज वह अपने माता पिता को बहुत याद कर रही थी। तभी उसकी दादी ने उसे कुछ कागज़ के टुकड़ा थमा दिया।
" ये क्या है दादी?"
"जहाँ से आशना की शुरुआत हुई।"
"मतलब ?"
" खुद ही देखो।"
उस कागज़ पर कुछ लिखा था।
स्याही फीकी पड़ गयी थी, मगर फिर भी उसे साफ पढ़ा जा सकता था। उस कागज़ पर लिखा था-
कुछ पन्ने अभी सिमटे हैं
इन्हें ज़रा खुलने दो
तुम्हारे बनाये रंगों को
इनमें ज़रा घुलने दो
फिर ये किताब
तुम्हारी हो जाएगी
और तुम्हारी शख्सियत
इसी में खो जाएगी
कुछ इसमे दाग हैं
कहीं स्याही के, कहीं यादों के
कहीं खुशी के तो कहीं गम के
कुछ इसमे भाग है
थोड़ा वक्त लगेगा
पर तुम जान जाओगे
फिर कुछ यूँ होगा
तुम हर जगह , हमे ही पाओगे
हम खुद में ही कहानी हैं
हमे तुमको कब से सुनानी है
सोच लो, इसका हिस्सा बनना है
या इसे अपनी बनानी है
हर एक पन्ना एक नया राज़ खोलेगा
हर एक हर्फ़ एक नई बात बोलेगा
तुम बस वो पूरा पन्ना पढ़ो
अपनी परते हम खोलेंगे
समझने की जद्दोजहद नहीं करनी पड़ेगी
हम सरलता से अपनी बात बोलेंगे
बस तुम धैर्य मत खोना
किताब बीच में न छोड़ देना
उस आधे पढ़े पन्ने को
यूँ किनारे से न मोड़ देना
वरना वो अधूरापन
हमेशा साथ रहेगा
किसी ने इसे बीच में छोड़ा
ये बात कहेगा
आशना की आँखों में आँसू आ गए।

