जब हुए आशना वो भी इक समा था फ़िर नज़रें फ़ेरी यूँ पहचान भी न रही! जब हुए आशना वो भी इक समा था फ़िर नज़रें फ़ेरी यूँ पहचान भी न रही!
किसी सीने पे आहट दी, किसी काँधे पे सर रक्खा हुए कितने भी बेपरवाह मगर बस एक घर रक्खा। किसी सीने पे आहट दी, किसी काँधे पे सर रक्खा हुए कितने भी बेपरवाह मगर बस एक घर...
दिल ए मनम अज़ीज़ ए जां दिल ए सर मगन मन जान ए जां. दिल ए मनम अज़ीज़ ए जां दिल ए सर मगन मन जान ए जां.
आज उसका पहला स्टेज शो था। आज वह अपने माता पिता को बहुत याद कर रही थी। आज उसका पहला स्टेज शो था। आज वह अपने माता पिता को बहुत याद कर रही थी।