आशा और विश्वास
आशा और विश्वास
प्रकाश उत्तराखंड के एक छोटे से गांव में रहता था। वह फौज की भर्ती की तैयारी कर रहा था, लेकिन तीन-चार भर्तियों से बाहर होने के कारण वह निराश हो चुका था। इसीलिए उसने एक दिन अपने पिता से कहा- "पिताजी, भर्ती हो पाना मुझे मुश्किल लग रहा है। मैं दिल्ली जाकर होटल में काम करना चाहता हूँ....।"
पिता ने कहा- "बेटा होटल के काम में काफी मेहनत करनी पड़ेगी। भर्ती होने के लिए तुम्हारे पास अभी पूरा एक साल है। मुझे आशा ही नहीं तुम पर पूरा विश्वास भी है कि तुम एक दिन जरूर फौज में भर्ती होगे। इसीलिए अपनी मेहनत जारी रखो।"
पिताजी के आशा और विश्वास से भरे शब्दों ने जादू का काम किया। प्रकाश ने अपनी तैयारी जारी रखी। कुछ समय बाद आर्मी की भर्ती आई और वह जी० डी० हेतु चुन लिया गया।