आँखों. वाला. धृतराष्ट्र
आँखों. वाला. धृतराष्ट्र
बचपन में दादी महाभारत की कहानी सुनाया करती, उसका एक पात्र धृतराष्ट्र, जिसका जिक्र करते हुए दादी बहुत ज्यादा ही उतावली हो जाती, कहती वह आँखों का अँधा के होने के साथ साथ दिमाग का भी अँधा था, ऐसे लोग अपने मन में बैर लिए अपना ही ,परिवार तबाह कर लेते है, उस समय मीता और मीठू को इन सब बातों का मतलब समझ नहीं आता था, पर दादी के चेहरे के हावभाव को देखकर दोनों भाई बहिन इशारों मे ही हँस लेते थे l
शादी के बाद जब पहली बार मायके गयी, तो सब पूछ रहे थे, सास ससुर कैसे हैं, घर कैसा है वगैरा वगैरा l और दादी ने जब पूछा सुधीर का स्वभाव कैसा है? उसके मुँह से निकल गया “दादी आपकी कहानी वाला धृतराष्ट्र - आँखों वाला धृष्टराष्ट्र - - - “ सचमुच सुधीर का स्वाभाव वैसा ही था, जैसे दादी बचपन मे सुनाती थी, मन मे जहर भरा हुआ था, हर किसी से बैर, हर किसी से ईर्ष्या l
मीता ने उसे समझाने की बहुत कोशिश की, पर उसका स्वभाव तो पहले से ही वैसा बन चुका था l वह अपने मन का जहर अपने शब्दों के तीरों से निकलता, अपनी नज़रों में वह खुद को सदा महान ही देखता, दुनिया की तरफ तक उसकी नज़रें कुछ न देखती, आँखों वाला धृतराष्ट्र - - - काश ! धृतराष्ट्र को किसी ने शुरू से ही दुनिया को देखने ,समझने की शिक्षा दी होती ,तो महाभारत ना हुई होती l
सिर्फ अपना स्वार्थ देखना, इस भावना से बड़े बड़े देश खंडित हो जाते हैं, परिवार का चलना तो नामुमकिन हैं l