आँचल और आस का कपड़ा
आँचल और आस का कपड़ा
"माँ, ये साड़ी बहुत सुन्दर लग रही है, हल्का गुलाबी रंग बहुत पसंद है मुझे । कहाँ से ली अपने? वैसे ज़्यादा महँगी नहीं लग रही है ।" एक ही साँस में आरती ने मायके आते ही सवालों की झड़ी लगा दी ।
"ये तेरी नानी जी की साड़ी है" माँ ने मुस्कुराते हुए कहा । तुनकते हुए आरती बोली "पर आप तो कहती थीं, चाहे कुछ भी हो जाये मैं भाइयों से जायदाद में हिस्सा नहीं माँगूगी, वो स्वेच्छा से देंगे तो भी नहीं और एक सस्ती सी साड़ी का लालच आ गया । क्या सोचेंगी मामियाँ ?"
माँ फिर से मुस्कुराते हुए बोली "ये केवल साड़ी नहीं, मेरी माँ का आँचल है। माँ का आँचल दुनिया का सबसे बारीक कपडा होता है, लेकिन ये हमेशा सुरक्षा का अहसास करता है । जब हम रोते हैं, तो माँ इसी आँचल से आंसू पोछ देती है; जब हम डरते हैं, तो इसी आँचल में छुपा लेती है, और जब नींद नहीं आती, तो इसी आँचल में लेकर लोरी गाकर सुला देती है । माँ के आँचल से ज़्यादा मज़बूत कोई सुरक्षा कवच नहीं होता दुनिया में । तेरी नानी जी का एहसास बना रहे बस यही सोचकर ये साड़ी रख ली थीं मैने और कुछ नहीं । चल जाने दे । आरती एकटक माँ को सुनती रही । तभी माँ फिर बोल पड़ी "अबके तू अपने ससुराल जाये, तो अपना कोई पुराना कपड़ा, सलवार-कमीज या साड़ी, कुछ भी छोड़ जाना मेरे पास ।"
"क्यों ? अब ये क्या है माँ ?" आरती ने आश्चर्य भरे भावों से पुछा । "उसको आस का कपड़ा कहते हैं। बेटी के ससुराल जाने के बाद जब भी उस कपडे पर नज़र पड़ती है, तो उस से एक "आस" बंध जाती है कि बेटी जल्दी ही वापस मायके आएगी ।"
अब आरती की आँखों से अश्रुधारा बह चली थीं पर माँ ने अपने उसी आँचल से उसके आंसू पोंछ दिए।