Rajat Bansal

Abstract

0.4  

Rajat Bansal

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आम इंसान

आम इंसान

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बड़ी बातें होती हैं 

बड़े लोगों की 

मैं तो एक

छोटा सा  इंसान हूँ 

बहुत कुछ सीखना है मुझे 

अभी तो मैं बहुत नादान हूँ 

मुझमें कहाँ है कला, 

कहाँ का फन 

अभी तो मैं सिर्फ 

दूसरों का कद्रदान हूँ 

ज़िन्दगी का अनुभव

कहाँ किया है मैंने 

अभी तो मैं

बिल्कुल ही अनजान हूँ 

इस  भीड़ भरी दुनिया में 

अभी भी गुमनाम हूँ 

इसी  का हिस्सा हूँ

और इसी का मेहमान हूँ 

इस रंग बदलती दुनिया में

एक आम इंसान हूँ 

अपनी ही ज़मीन 

ख़ुद ही अपना आसमान हूँ 

 


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