आखिरी ख्वाहिश
आखिरी ख्वाहिश
ज़िन्दगी के आखिरी लम्हों में खड़ी अम्मा ने ज़िद पकड़ ली थी कि मरने से पहले वो झमाझम बारिश देखना चाहती हैं, पता नहीं क्यों उन्हें विश्वास था की बारिश देखकर मरने से उन्हें गति मिल जायेगी और बादल निगोड़े गरज गरज कर वापिस चले जाते थे।
सबने अम्मा को समझाने की बहुत कोशिश की पर बच्चे और बूढ़े एक समान होते हैं सो अम्मा नहीं मानी। इधर डॉक्टर ने कह दिया की अम्मा आज रात मुश्किल से पकड़ेगी और उधर घर में सब अम्मा की इच्छा पूरी ना कर पाने के मलाल से दुखी अम्मा के ही कमरे में खड़े थे।
तभी अम्मा की नजर खिड़की में से झमाझम होती बारिश पर पड़ी। अम्मा ने बच्चे की तरह खुश होकर किलकारी मारी और हमेशा के लिए आंखें मूंद ली। अम्मा के जाने से दुखी घरवाले हैरान थे कि ऐसा कैसे हुआ। जब बाहर जाके देखा तो पता चला अम्मा के लाडले पोते ने अपनी गुल्लक में जमा सारे रुपए जो वो अपनी साइकिल के लिए इकट्ठे कर रहा था, उनसे अम्मा की इच्छा पूरी करने के लिए पानी का टैंक ले आया था और ये बारिश उसी का नतीज़ा थी। एक तेरह साल के छोटे से बच्चे ने अपनी जाती हुई अम्मा की आखिरी इच्छा पूरी कर दी थी और सब घरवाले अपने लाड़ेसर पर निसार हो रहे थे।