Soldier Aakash

Drama Horror Thriller

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आज़ादी - कहानी भूतिया घर की

आज़ादी - कहानी भूतिया घर की

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भाग 4

अब आगे

( घड़ी में ठीक 1 बज रहे थे.. अरविंद बालकनी से उठकर डाइनिंग रूम में बैठा था फ्रूट्स खा रहा था। हमेशा की तरफ वो उस वक्त भी सोच में डूबा हुआ था तभी दरवाज़े पे किसी के खटखटाने की आवाज़ आ रही थी ज़ोरदार अरविंद सुनता है और घर पे माली और मां को आवाज़ देता तब उसे याद आता है माली उसकी दवाइयां लेने गया हुआ था और मां उसको बाज़ार गई हुई थी फिर अरविंद उठकर दरवाज़े की तरफ जाता है एवं दरवाज़ा खोलता है.. अरविंद देखता है दरवाज़े पे राजीव खड़ा था )


राजीव :- ओह... हाय अरविंद.. क्या बात है डोरबेल खराब है क्या.. मुझे घंटी की आवाज़ नहीं आ रही थी और कबसे दरवाज़ा खटखटा रहा हूं कोई खोल नहीं रहा।


अरविंद :- हां भाई वो डोरबेल कल ही खराब हुई है और घर पे कोई है भी नहीं में डाइनिंग हॉल में बैठा हुआ था इसलिए वहाँ तक खटखटाने की आवाज नहीं आई मुझे।


राजीव :- ओके.. अब मुझे अंदर आने के लिए नहीं कहोगे भाई..??


अरविंद :- ओह.. हां माफ़ करना भूल गया में आओ भाई अंदर आओ..

( फिर राजीव और अरविंद दोनों घर के अंदर जाते है अरविंद राजीव को सोफे पे बैठने को बोलता है )


अरविंद :- भाई तुम यहां बैठो सोफे पे.. में इतने में रसोई घर से तुम्हारे लिए जूस लेकर आता हूं।


राजीव :- अरे नहीं नहीं भाई जूस रहने तुम बस एक ग्लास साधा साफ पानी ले आओ मेरे लिए फ्रिज का.. जूस फिर कभी बाहर पी लेंगे हम।


अरविंद :- ठीक है।

( अरविंद रसोई घर से पानी लाकर राजीव को देता है पानी पिलाता है और फिर अरविंद भी राजीव के सामने वाले सोफे पे बैठ जाता है)


अरविंद :- कहो भाई ऐसी क्या ज़रूरी बात थी जिसके लिए तुम मुझसे मिलने आए..


राजीव :- पहले ये बताओ तुम हर बात को सुन पाओगे.. क्योंकि तुमको और तुम्हारी ऐसी हालत देखकर सच कहूं तो मेरा मन कतरा रहा था तुमसे बात करने के लिए। सोच रहा था मेरी बातें सुनकर तुम और परेशान ना हो जाओ।


अरविंद :- अरे नहीं नहीं यार.. तुम दोस्त काम मेरे भाई हो और में तुम्हारी बातों से परेशान क्यों होने लगा अब। बेझिझक कहो क्या बात है।


राजीव :- अरविंद मुझे तुमसे उस घरर....

( राजीव बोलने वाला होता है तभी घर के दरवाज़े पर फिर से खटखटाने की आवाज़ आने लग जाती है )


अरविंद :- ओह... तुम रुको में अभी देख कर आता हूं

( और फिर अरविंद दरवाज़ा खोलने जाता है अरविंद की मां वापस आ गई थी अरविंद की मां अंदर आती है और आते ही राजीव को बैठा हुआ देखती है)


अरविंद की मां :- ओह... राजीव बेटा.. वाह क्या बात है आज दिन कहा से उगा जो तुमने दर्शन दिए। ( टांग खींचते हुए)


राजीव :- अरे आंटी जी ऐसा मत कहिए अब आप शर्मिंदा कर रही हो मुझे ( हँसते हुए )


अरविंद की मां :- अरे इसमें अब शर्मिंदा होने वाली क्या बात है.. तुम्हें खुद भी याद है तुम आखिरी बार कब आए थे यहां.. चलो आए ये तो अच्छी बात है कम से कम बता कर आते तो यहां कुछ खाने पीने का बंदोबस्त होता।


राजीव :- अरे आंटी जी में तो बस अरविंद से मिलने आया हुआ था.. यही से गुजर रहा था तो सोचा एक बार अरविंद से उसका हाल चाल पूछता चलूँ। आजकल काम ही इतना है कि मुझे खुद घर पर बैठने का समय नहीं मिलता।


अरविंद की मां :- अच्छा चलो कोई बात नहीं तुम दोनों भाई बैठो आराम से में तुम दोनों के लिए कुछ अच्छा सा नाश्ता बना कर लाती हूं।


राजीव :- अरे नहीं नहीं आंटी जी आप क्यों तकलीफ उठा रहीं हो में बस घर से नाश्ता कर के ही निकला था। अभी पेट एकदम भरा हुआ है।


अरविंद :- अरे कुछ नहीं वैसे भी तुम कहा रोज़ रोज़ आते हो यहां..

( अपनी मां से कहता है :- मां आप जाओ राजीव के लिए कुछ अच्छा सा बना दो और हा वो फ्रिज में जूस है ना वो भी लेते आना )


अरविंद की मां :- हां ठीक है में अभी आती हूं।


राजीव :- क्या भाई तुम भी..

( राजीव कुछ बोलने ही वाला होता है तभी उसके घर से उसको कॉल आता है )


राजीव :- एक मिनिट भाई में अभी आया थोड़ी देर मैं घर से कॉल है।


अरविंद :- ओके तुम बात करके फटाफट आओ तब तक में टेबल पे नाश्ता लगाता हूं। जल्दी बात करना वरना ठंडा हो जाएगा।


( फिर अरविंद रसोई घर की तरफ जाता है और राजीव बालकनी में जाता है कॉल पे बात करने )


अरविंद की मां :- अरे बेटा तुम यह क्यूं आये में आ रही थी बस नाश्ता ले कर..


अरविंद :- अरे नहीं मम्मा वो राजीव को कॉल आया है उसके घर से तो वो वहाँ बात कर रहा है.. तो मैंने सोचा तब तक में नाश्ता टेबल पर लगाने में आपकी मदद करूं।


अरविंद की मां :- अच्छा कोई बात नहीं ।


{ राजीव कॉल पर }

( सुचित्रा का कॉल आता है )

राजीव :- हाँ सुचित्रा बोलो।


सुचित्रा :- राजीव जल्दी घर आओ वापस कोई मिलने आया है तुमसे..


राजीव :- अब कौन आया??


सुचित्रा :- मुझे नहीं पता राजीव.. में नहीं जानती इनको.. इसलिए कह रही हूं जल्दी आओ घर पे वापस। इनकी बाते कुछ अजीब है।


राजीव :- अच्छा फोन दो उनको.. बोलो राजीव बात करना चाहता है।


सुचित्रा :- कॉल करने से पहले मैंने उनको यही कहा था लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया ये कह कर कि मुझे राजीव से आमने सामने बैठ कर बात करनी है।


राजीव :- कमाल है कौन हो सकता है यार अब। चलो कोई नहीं मैं आता हूं घर पे थोड़ी देर में तब तक तुम उनको बैठा कर रखो।


सुचित्रा :- ठीक है जल्दी आओ।


(राजीव कॉल कट कर देता है)

अरविंद :- क्या बात है राजीव किसका कॉल है..??


राजीव :- अरे यार घर से है मुझसे निकलना होगा हम फिर कभी मिल कर बात कर लेंगे। कहीं बाहर।


अरविंद :- अच्छा ठीक है फिलहाल ये नाश्ता है थोड़ा सा खा कर जाओ। ज्यादा समय नहीं लगेगा।


राजीव :- हाँ ठीक है आंटी जी ने अब इतने प्यार से बनाया है तो खा लेता हूं।


(उसके बाद राजीव अरविंद और अरविंद की मां तीनों नाश्ता करने बैठ जाते है)


अगले भाग के लिए बने रहिए..


क्रमशः


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