आज़ादी - कहानी भूतिया घर की भाग-7
आज़ादी - कहानी भूतिया घर की भाग-7
( मित्रो अभी कहानी को ज्यादा समय नहीं हुआ है पोस्ट किए हुए तो सोच रहा हूं आज से रचना का प्रारूप पूर्णतः कहानी के जैसा कर दू )
सुचित्रा काफी घबराई और डरी हुई थी। सांसे बिल्कुल तेज़ चाल रही थी। उसकी आंखे फटी की फटी रह गई सब कुछ देखकर। राजीव गाड़ी से बाहर निकाल कर सुचित्रा को देखता है कि वो बालकनी में खड़ी है। और गाड़ी को लॉक करता है तभी राजीव सुचित्रा को देखकर हल्की सी मुस्कान देता है। लेकिन सुचित्रा कोई प्रतिक्रिया नहीं देती। तब राजीव थोड़ा ध्यान से देखता है तब उसको पता चलता है कि सुचित्रा उसके सामने ही नहीं देख रही। राजीव यह देखने की कोशिश करता है कि आखिर वो देख किसको रही है लेकिन राजीव को आस पास कोई दिखाई नहीं देता। तब राजीव सुचित्रा को आवाज़ देता है,
" अरे सुचित्रा कहां देख रही हो बालकनी में क्या कर रही हो.. अच्छा वो जो आया था वो गया क्या जिसको मुझसे काम था ? "
लेकिन सुचित्रा बिल्कुल भी उसकी बातों का जवाब नहीं देती। वो बस उसी जगह देख रही होती है। राजीव एक बार फिर से सुचित्रा को आवाज़ देता है
" ओ मोहतरमा कहा ध्यान है आपका ? कबसे आवाज़ दे रहा हूं आपको सुनाई नहीं दे रहा है ? बताओ ना क्या हुआ वो है अभी भी या गया "
राजीव के चिल्लाने से सुचित्रा का ध्यान उस जगह से टूट जाता है/ ध्यान भटक जाता है। सुचित्रा हल्की सी मुस्कान देते हुए एकदम घबराते हुए राजीव को अंदर आने के लिए कहती है सुचित्रा कहती है कि वो जो भी है अंदर ही तुम्हारा इंतज़ार कर रहें है। राजीव ये बात सुनकर अंदर आ रहा होता है। सुचित्रा मुड़ते वक्त एक बार फिर कार की तरफ देखती है लेकिन इस बार वहां कुछ नहीं होता।
वास्तव में वहा कार के पास मतलब कार के पीछे सीट पर सुचित्रा ने किसीको बैठे हुए देखा था। एक परछाई की तरह जैसे कि को काली परछाई राजीव के साथ पीछे वाले सीट पर बैठ कर आई हो। और जब सुचित्रा राजीव को अंदर आने का कह कर वापस उस तरफ देखती है उस वक्त वहां पर कुछ भी नहीं था। वो सीट एकदम खाली थी। उस वक्त साफ साफ दिख रहा था वहा पर कोई नहीं बैठा है। सुचित्रा आस पास चारो तरफ देखती है कि वो आखिर गई कहां। लेकिन उसको फिर भी कोई दिखाई नहीं दिया।
सुचित्रा उस दृश्य को देखकर एकदम सुन्न पड़ चुकी थी। वो राजीव को कहना चाहती थी लेकिन उस दृश्य ने सुचित्रा के दिमाग पर इस क़दर असर डाल की सुचित्रा के में से एक शब्द आवाज़ तक नहीं निकाल पा रही थी। उसके बाद राजीव गेट पर आकर डोरबेल बजाता है। सुचित्रा जैसे तैसे खुद को संभालते हुए दरवाज़े की तरफ जाती है तभी अंदर बैठा हुआ वह शक्स जों की राजीव से मिलने आया हुआ था। सुचित्रा के सामने देखकर कहता है.. " देख लिया ना तुमने उसको बस यही तो काम था मेरा, यही तो कहने और बताने आया था में तुम दोनो को " यह सुनकर सुचित्रा चौंक जाती है और कहती है " मैने जो भी देखा वो शायद भ्रम हो सकता है मेरा, में रात को जल्दी सोई नहीं थी शायद ज्यादा नींद ना लेने को वजह से मुझे ये सब दिख रहा है" सुचित्रा की ये बात सुनकर उस व्यक्ति को हंसी आ जाती है और वो व्यक्ति एक डरावनी सी मुस्कान देने लग जाता है सुचित्रा को " .. उसको ऐसे देखकर सुचित्रा का दिल बैठ जाता है, और वो घबराने लग जाती है।
इसके बाद फिर वह व्यक्ति कहता है कि " में इसीलिए यहां पर आया था ताकि तुम दोनो को चेतावनी दे सकूं, लेकिन अफसोस वो तुम दोनो तक पहुंच चुकी है, उसने तुम्हारा घर और तुम दोनो को देख लिया है" उसने शुरुआत तुम दोनो से कि है।
सुचित्रा ये बात सुनकर और भी ज्यादा घबरा जाती है.. वो जा कर दरवाज़ा खोलती है। राजीव बाहर खड़ा होता है वह अंदर आता है। आकर उस अनजान व्यक्ति के सामने आकर बैठ जाता है। सुचित्रा उन दोनों के लिए रसोई घर से पीने का पानी लाती है। राजीव के सामने बैठते ही पारस को किसी के होने का एहसास होने लगा जाता है। एक अजीब सी शक्ति का एहसास होता है। उसके साथ साथ भारी बदबू भी आती है जैसे कोई जानवर मर गया हो।
राजीव उस व्यक्ति से उसका नाम पूछता है। इसके जवाब में वो व्यक्ति उसको अपना नाम। पारस बताता है। राजीव उससे पूछता है " कहिए आपका यहां कैसे आना हुआ ? ना तो में आपको जानता हूं ना ही आप मुझे जानते होंगे.. ऐसे अनजान होते हुए किसी अनजान के घर जाना अच्छी बात तो नहीं है, चलिए वो तो मुझे सुचित्रा ने बता दिया कि आपको मुझसे कुछ ज़रूरी काम है वरना में ऐसे ही अपना काम छोड़ कर घर पर नहीं आता हूं। और अब आप आ ही गए है तो अपना काम बताइए। क्या ज़रूरी बात करनी है आपको मुझसे ? "
तब पारस बताता है " मेरा यहां आने का उद्देश्य सुचित्रा समझ गई होगी.. और में जो कहना चाहता हूं वो सुचित्रा ने अपनी आंखो से देख लिया है। शायद अब मेरा यहां कोई काम नहीं है अब मुझे चलना चाहिए। बस इतना तुमसे कहूंगा कि अपने दोस्त की और अपनी... सबकी जान खतरे में मत डालो तुम। में बस चेतावनी देने आया हूं इसके बाद अगर तुम नहीं समझोगे तो में शायद ही तुम्हारी मदद के लिए वापस आ सकूं। क्योंकि मेरा कोई ठिकाना नहीं है.. में आज यहां हूं तो कल पता नहीं कहां पर रहूंगा।
राजीव कुछ समझ नहीं पाता और कहता है " उद्देश्य ? जान का खतरा ? में कुछ समझा नहीं आप कहना क्या चाहते है। थोड़ा विस्तार से बताइए आप किस बारे में बात कर रहे है ? "
पारस राजीव की बात का जवाब देने वाला होता है.. तभी वो देखता है एक अनजान आकृति राजीव के पीछे से गुजरती है.. एकदम वहीं आकृति सुचित्रा भी देखती है.. और कुछ क्षण के बाद वो गायब हो जाती है। इसके बाद पारस और सुचित्रा एक दूसरे के सामने देखते है। सुचित्रा के डर के मारे पसीने निकलने लग जाते है। सुचित्रा खड़े खड़े ही कांपने लग जैसी है।
पारस तुरंत अपनी जगह से खड़ा हो जाता है। पारस को देखकर राजीव भी अपनी जगह से खड़ा हो जाता है... राजीव कहता है " क्या हुआ आप ऐसे खड़े क्यूं हो गए ?"
तब पारस कहता है कि " मुझे निकालना होगा राजीव.. तुम दोनो पर एक भारी काला खतरा मंडरा रहा है, राजीव तुम बोहोत बड़ी मुसीबत में पड़ने जा रहे हो, वो साया तुम्हारे पीछे पीछे यहां तक पहुंच चुका है "
राजीव कुछ समझ नहीं पाता और कहता है " देखिए आप क्या कह रहे है ? किस बारे में कह रहे है मुझे बिल्कुल समझ नहीं आ रहा है ? आप बैठ जाइए आराम से ठंडा पानी पीजिए और विस्तार से बताईए आखिर बात क्या है ? " पारस मन ही मन समझ गया था कि जब तक में रहूंगा ये साया हमारी बाते सुनेगा। क्युकी जिस तरफ से वो मंडरा रहा था उसका उद्देश्य एक ही लग रहा था। तभी पारस खुद को डरा हुआ दिखने का नाटक करने लगा जाता है।
पारस कहता है " हम फिर कभी बात कर लेंगे राजीव तुम्हे बचाने के चक्कर में, में भी मारा जाऊंगा मुझे जाने दो बस अपना और अपने परिवार का खयाल रखो तुम, कुछ भी ऐसा वैसा काम मत करना जिससे तुम्हारे परिवार की जान खतरे में पड़ जाए इतना समझ जाओ " इतना कह कर पारस घर से बाहर निकाल जाता है जल्दी जल्दी। राजीव भी उसके पीछे पीछे निकलता है। लेकिन सुचित्रा वही सोफे पे घबरा के बैठ जाती है। उसको कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है और आगे क्या होने वाला है। राजीव के समझने पर भी पारस उसकी एक बात तक नहीं सुनता और घर के गेट तक पहुंच जाता है। पारस पीछे मुड़ता है राजीव से कुछ कहने के लिए देखता है वो परछाई/साया बालकनी की पास वाली खिड़की से झांक रही थी और पारस के उसके सामने देखने के बाद वो गायब हो जाती है। पारस राजीव को अपना नंबर देता है और कान के पास आकर कहता है " ये मेरा नंबर रखो लेकिन याद रहे, कभी भी भूल कर भी तुम मुझे अपने घर में बैठे बैठे कॉल नहीं करोगे " राजीव फिर से कुछ पूछने जाता है लेकिन पारस उसको बीच मे ही टोंक देता है कि " मेरी बात ध्यान से सुनो में जितना कह रहा हूं बस इतना करो, अगर मुझसे बात करनी है तो कॉल तभी करना जान तुम घर के बाहर हो घर में कभी भी भूल कर भी मुझे कॉल करने की गलती मत करना.. वादा करो " राजीव उससे वादा करता है कि वो ऐसा नहीं करेगा उसके बाद पारस वहा से राजीव की कोई भी बात सुने बिना निकाल जाता है। पारस को समझ आ चुका था कि राजीव या सुचित्रा दोनो मे वो परछाई किसी न किसी को अपने वश में करने की कोशिश ज़रूर करेगी। या फिर उन्हे चोट पहुंचाने की कोशिश करेगी।
लेकिन यही बात वो राजीव या सुचित्रा किसीको नहीं कहता और चुप चाप वहां से चला जाता है। राजीव भी कुछ देर बाद परेशान हो कर वापस सुचित्रा के पास आता है और आकर बैठ जाता है।