Dinesh Dubey

Horror

4  

Dinesh Dubey

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आईने का रहस्य भाग 31

आईने का रहस्य भाग 31

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सभी ब्रम्ह पिशाच को भोजन करते हुए देख रहे हैं, वह भर पेट खा लेने के बाद जोरदार डकार लेते हैं ,उनकी डकार से पूरा पीपल हिल जाता है, वह अपने पेट पर हाथ फेरने लगता है,तभी जय अपने पास रखा मिठाई उनको देता है ,तो सभी लोग देते हैं तो वह मिठाई भी खाता है, और सबको देख कहता है ," एक महीने का भोजन आप लोगो ने करा दिया मैं तृप्त हो गया, बताओ क्या चाहिए ,*"!!!


ब्राह्मण तांत्रिक कहते हैं, " ब्रह्म महाराज हम मणि की खोज में निकले हैं, हमे पिछले 200 वर्षो से एक तिलिस्म के जाल में उलझा रखा है, वह मणि से ही हमारा उद्धार होगा ,अगर आप की कृपा हो तो हम उस मणि को पाकर अपने श्राप से मुक्त हो जाएं, "!! 


वह कहता है ," मणि तो यहां से बहुत दूर है , इसके आगे एक बेताल मिलेगा फिर एक राक्षस ,फिर उसके बाद मुझसे बड़े एक ब्रम्ह राक्षस मिलेंगे और मणि उन्ही के पास है, बेताल और राक्षस को आप सब निपटिए , ब्रम्ह राक्षस तो मेरे पिता हैं , उनसे मैं निवेदन कर सकता हूं ,पर वह बात मानेंगे या नहीं यह नही कह सकता, वह उन्हे एक दंड देते हैं जो सोने का लग रहा था ,वह कहता है ,इस से जो भी खाने पीने का सामान मांगोगे मिल जायेगा , यह तुम्हे उड़ने में भी मदद करेगा पर एक बार में एक ही आदमी उड़ सकता है , इस से आप किसी की पिटाई के लिए कहोगे तो यह वह भी करेगा , हां भूत प्रेतों पर इसका असर नहीं होगा ,"!! 


दुर्गा हाथ जोड़कर कहती है, " हे ब्रह्म देव हमारी इच्छा है कि जरूरत पड़ने पर आप स्वयं आकर हमारी सहायता करें, "!! वह मुस्कराकर कहते है, *" अवश्य करूंगा ,पर पिता श्री के समक्ष आकर वह भी जब वह तुम लोगो की बात नही मानेंगे तब , वैसे पिता जी के लिए तुम सब विशेष व्यवस्था करना उन्हे छैने की मिठाई बहुत पसंद है , वह तुम इस छड़ी से मांग लेना , और हां ,रास्ते में भी कुछ छोटी मोटी बाधाये तो आएंगी, उनका ध्यान रखना , वो छोटी बाधाए बहुत खतरनाक साबित हो सकती हैं, अब तुम लोग जाओ मुझे आराम करना है,"!!! 


सभी उन्हे प्रणाम कर आशीर्वाद लेते हैं ,यह बाधा तो बहुत ही आसानी से पिसाच की वजह से निकल गए , वरना यह बड़ी मुसीबत बन जाता , सभी आगे बढ़ते हैं , जय पिशाच को याद करते हैं ,वह आता है,तो जय कहते हैं ," अब कौनसी बाधा आने वाली है, "!!


पिशाच कहता है," यह हम नही बता सकते हैं ,में आपकी बचने में सहायता कर सकता हूं पर पहले से उसके बारे में बता नहीं सकता हूं,यह सब शापित है,"!! जय सबकी तरफ देखता है और आगे बढ़ने को कहता है, सभी आगे बढ़ते हैं, थोड़ी दूर जाने पर रास्ता बंद मिलता है, सभी परेशान होते हैं, एक रास्ता बाए जा रहा था दूसरा दाहिने, अब उन्हे किस ओर जाना है यह समझ नहीं आ रहा था, सब अपना अपना कयास लगा रहे थे ,!!!


मोहिनी दोनों तरफ देखती है तो पता नही उसके दिमाग में क्या आता है वह सीधे आगे बढ़ती है जिस तरफ रास्ता बंद था ,वह आगे बढ़ती है तो रास्ता आगे खुलने लगता है और बाई तरफ खाई दिखाई पड़ती है और दाहिनी तरफ ,मगरमच्छ से भरी नदी थी , सभी सहम जाते है की अगर उन्होंने जल्दी बाज़ी में दाएं या बाएं कदम बढ़ा दिया होता तो कोई भी ना बचता, सभी मोहिनी को धन्यवाद देते हैं, और पूछते हैं की उसे कैसे अंदाजा हुआ की सीधे जाना चाहिए,!!


वह कहती है ," सीधी सी बात थी जो आप लोगो में से किसी ने ध्यान नहीं दिया , ना ही बाई तरफ के पेड़ पौधे और पक्षी हिल डोल रहे थे और न ही दाई तरफ के , जो की संभव ही नहीं था ,और सामने बंद जरूर था पर उस तरफ से हवा आ रही थी, सभी आश्चर्य चकित रह जाते हैं ,वह सच कह रही थी, इस और किसी का ध्यान ही नही गया था, सभी उसके इस बात की प्रशंसा करते हैं और अब सभी अपने ज्ञान चछु खोल कर चलने का विचार करते हैं, ,!!!


सभी को भूख लगने लगती है तो वह लोग पिशाच को भोजन की व्यवस्था के लिए कहते हैं तो वह हंस कर कहता है, " अरे आप लोगो के पास ब्रम्ह महाराज की छड़ी है तो मुझे क्यों परेशान कर रहे हैं, मेरा जहां उपयोग होगा में स्वयं उपस्थित हो जाऊंगा "!!! 


जय को उसकी बात सही लगती है ,वह उसे भी अपने साथ भोजन के लिए आमंत्रित करते हैं तो वह कहता है" उसके लिए कुछ तगड़े बकरे मंगवा दे, तो उस से मेरे लिए आप लोगो का भोग भी हो जायेगा और मेरी भूख भी मिट जायेगी , जय छड़ी से निवेदन करते हैं ,तो वह कुछ ही क्षणों में सभी के भोजन की वयवस्थ करता है साथ ही एक शामियाना भी लगा देता है जहां सब बैठ कर आसानी से भोजन भी कर ले और जरूरत पड़ने पर आराम भी कर ले, साथ ही पिशाच के लिए 10 बकरे भी देता है,"!!

आगे कि कहानी अगले भाग में पढ़िए "!!



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