STORYMIRROR

Dr. Madhukar Rao Larokar

Drama Fantasy

4  

Dr. Madhukar Rao Larokar

Drama Fantasy

आईना

आईना

3 mins
757

मैं इधर-उधर देखता रहा। मेरे आसपास कोई भी नहीं था। फिर मुझे यह आवाज, कैसे सुनाई दे रही है। किसकी है यह आवाज। मुझे कोई भ्रम तो नहीं हुआ है। मैं परेशान सा हो उठा।


मैंने संदेह मिटाने आईना मंगवाया। आईना देखा तो, मुझे मेरी सूरत दिखाई दी, जो मुझसे यह कह रही थी,

तू किसे देखता है

यार, खुद को भूलकर।

आ इधर आ, मुझे देख

मैं तेरा ही, साया हूँ।।


मैंने आईने से कहा, "मित्र तू कौन है?मुझे तो आईने में, मेरी ही सूरत नजर आ रही है।”


आईने ने मुझसे कहा, "यही तो बात है। तू हर दिन सबसे मिलता है। परिवार से, रिश्तेदारों से, मित्रों से, जान-पहचान वालों से, सभी से। परंतु, क्या खुद से कभी मिलता है?सुख-दुख आपस में बांटता है? आखिर दिल की बातें तो, तू किसी से कर नहीं सकता तो अपने साये से क्यों नहीं करता? आखिर मैं कोई अंजान नहीं, तेरा ही तो साया हूँ।”


मैंने आईने से कहा, "मेरे अंजान, मेरे हमसाये। आखिर तू मुझे बता, तुझसे क्यूं मिलूं और मिलकर क्या बातें करूँ। मेरी समझ में तो कुछ नहीं आ रहा है।”


आईने ने कहा, "देख परेशान मत हो। मैं तुझे उपाय बताता हूँ। आज तू सभी काम छोड़ और सिर्फ मुझसे मिल, बातें कर, अपना अच्छा बुरा बता। सुख-दुख बता, शायद तुझे मैं तेरी खूबियां और तेरी कमियां बता सकूँ। एक सखा की तरह।"


मैं सोच में पड़ गया। फिर विचार किया, रोज तो सभी से मिलता हूँ। आज का दिन, अपने हमसाये (अंजान)से भी मिल लेता हूँ। क्या फर्क पड़ता है। हर नये कार्य में, कुछ सीखने को तो मिलता ही है।


मैंने आईने से कहा, "चल आज मैं और सिर्फ तू रहेंगे, मिलेंगे। आज का दिन सिर्फ, तेरे नाम करता हूँ।"


सुनकर आईना प्रसन्न हो गया और कहा, “वाह आज हम दोनों मिलेंगे, मजा आयेगा।"


आईने ने कहा, सुनो। अभी तुम क्या महसूस कर रहे हो, मुझे बताओ। सच बताना।"


मैंने कहा, "यार, शरीर में अकड़न सी हो रही है। ठंड बहुत है ना। इसीलिए तो बिस्तर में पड़ा हूँ।”


आईने ने कहा, "उम्र का तकाजा है। ऐसा होता है। अब ऐसा करो, बिस्तर छोडो, पानी पीयो और हाथ पैरों की, खुद से मालिश करो। किसी को भी आवाज मत दो। एहसान मत लो किसी का।"


मैंने वैसा ही किया। शरीर हल्का लगने लगा। आईने ने कहा, “अब बोलो, कैसा महसूस कर रहे हो।"


मैने कहा, “मित्र, अब अच्छा लग रहा है। अच्छा बता तो, आज तक मुझसे क्यों नहीं मिला था।"


आईना, “मुझे तुम पर दया आ गयी है। तुने भी तो मुझसे कभी मिलने, साथ रहने की, कोशिश नहीं की।"


मैंने कहा, "मेरे मित्र, कई दिनों से उदास हूँ। कुछ अच्छा नहीं लगता।"


आईना, “अच्छा, क्यों उदास है बता।"


मैने कहा, "यार, क्या बताऊँ। पत्नि जी कई दिनों से, अपने छोटे बेटे के पास गयी है, मुझे उसकी बहुत याद आ रही है।”


आईना कहता है, "बस इतनी सी बात है। तेरी पत्नि जिसके पास गयी है, वह तुम्हारा ही बेटा है। जैसे तुम उनकी याद कर रहे हो, वैसे ही उन्हें अपने बेटे की याद आती होगी, जो कि परदेस में है। तुम एक काम करो, पत्नि को फोन लगाओ, उनका हालचाल पूछो। प्यार की बातें करो।पत्नि के साथ बिताये अच्छे समय की याद करो। तुम्हारा अभी तक साथ निभाने के लिए, उनको धन्यवाद दो।प्यार दोगे तो प्यार पाओगे। यह सभी, करके तो देखो।”


आईने से मैंने कहा, "मित्र तुम तो मेरे लिए, कहीं से भी अंजाने नहीं हो। तुम तो मेरे हित की बात करते हो। मेरे दिमाग में तो ये सभी बातें आई ही नहीं। बहुत धन्यवाद, मित्र तुम्हारा।"


आईने ने जवाब दिया, “मैं तुम्हारे लिए अंजाना नहीं हूँ। मैं तो तुम्हारा साया ही हूँ। तुमसे जुदा कभी रहा ही नहीं। हां यह सच है कि तुम ही मुझसे, मिलना नहीं चाहते थे। जैसा मैंने कहा है, वैसा करो और आनंद पाओ।"


हमारा पूरा दिन कैसे बीता, पता ही नहीं चला। हां उसने रुखसत होने से पहले मुझसे कहा था, “जब भी तुम्हें खुद से मिलना हो तो मुझे याद कर लेना। मैं तुम्हारे सभी सुख-दुख में तुम्हारे साथ हूँ। मैं कोई गैर नहीं, आईना हूँ मैं, यार तुम्हारा।”


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama