आदिवासी समाज के कुछ चमकते सितारे
आदिवासी समाज के कुछ चमकते सितारे
हजारों वर्षों से जंगलों और पहाड़ी इलाकों में रहने वाले आदिवासियों को हमेशा से दबाया और कुचला जाता रहा है जिससे उनकी जिन्दगी अभावग्रस्त ही रही है। इनका खुले मैदान के निवासियों और तथाकथित सभ्य कहे जाने वाले लोगों से न के बराबर ही संपर्क रहा है। केंद्र सरकार आदिवासियों के नाम पर हर साल हजारों करोड़ रुपए का प्रावधान बजट में करती है। इसके बाद भी 6-7 दशक में उनकी आर्थिक स्थिति, जीवन स्तर में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है। स्वास्थ्य सुविधाएं, पीने का साफ पानी आदि मूलभूत सुविधाओं के लिए वे आज भी तरस रहे हैं।
वर्षों से शोषित रहे इस समाज के लिए परिस्थितियां आज भी कष्टप्रद और समस्यायें बहुत अधिक हैं। ये समस्यायें प्राकृतिक तो होती ही है साथ ही यह मानवजनित भी होती है। विभिन्न आदिवासी क्षेत्रों की समस्या थोड़ी बहुत अलग हो सकती है किन्तु बहुत हद तक यह एक समान ही होती है। जैसे ऋणग्रस्तता, भूमि हस्तांतरण, गरीबी, बेरोजगारी ,स्वास्थ्य ,मदिरापान और शिक्ष। इन सबके बाबजूद आधुनिक समाज में यह आदिबासी लोग अपनी उपिस्थिथी दर्ज करा रहे हैं जिनमे से कुछ के बारे में हम आज बात करेंगे।
1958 में जन्में मनोहर टोपनो प्रसिद्ध भारतीय पुरुष हॉकी खिलाड़ी रहे हैं। उन्होंने 1984 समर ओलंपिक्स में भाग लिया है जहां भारत 5वें स्थान पर आया।
वर्जीनियुस खाखा जाने माने विद्वान हैं। इनका जन्म छत्तीसगढ़ में हुआ था। इन्होंने आईआईटी कानपुर से उत्तर भारत में कृषि और आर्थिक वर्गों के सम्बन्ध पर पीएचडी हासिल की है और नॉर्थ ईस्ट हिल्स यूनिवर्सिटी (नेहू) और दिल्ली स्कूल ऑफ इकॉनोमिक्स जैसे प्रसिद्ध संस्थानों में पढ़ाई की है।वे टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज़, गुवाहाटी के उप - डायरेक्टर भी रहे हैं। वे यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया और लंदन यूनिवर्सिटी में भी प्रॉफेसर रहे हैं। वे भारत सरकार के नेशनल एडवाइज़री बोर्ड के सदस्य भी रहे हैं।
झारखंड में जन्में माइकल किंडो ने 1972 समर ओलंपिक्स में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। वे 1975 में वर्ल्ड कप जीतने वाले भारतीय पुरुष टीम का भी हिस्सा थे। उन्हें अर्जुन अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया है।
दयामनी बरला प्रसिद्ध पत्रकार हैं जिन्होंने आदिवासियों के हित के लिए न्यूज़ रिपोर्टिंग की हैं। गरीबी के बावजूद उन्होंने पढ़ाई की और प्रभात खबर के साथ काम शुरू किया। फिर उन्होंने सरकार और प्राइवेट कंपनियों द्वारा आदिवासियों का अवैध रूप से ज़मीन छीने जाने का विरोध किया और बड़ा मूवमेंट बनाया। अपने काम और जज़्बे के लिए उन्हें आयरन लेडी ऑफ झारखंड के नाम से भी जाना जाता है।
अल्बर्ट एक्का जाने माने हस्ती हैं, जिनको परम वीर चक्र से सम्मानित किया गया है। वे भारत पाकिस्तान जंग 1971 में शहीद हो गए थे। भारत सरकार ने वर्ष 2000 में उनकी याद में पोस्टल स्टैम्प भी जारी किया है। रांची के फिरायालाल दुकान के चौराहे को अल्बर्ट इक्का चौक से जाना जाता है। यह रांची का प्रमुख स्थान है जहां इनकी मूर्ति भी है।
कांति बा भारतीय महिला हॉकी टीम का हिस्सा रही हैं और इन्होंने 2002 कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत को स्वर्ण भी दिलाया है।
