आधे-अधूरे
आधे-अधूरे
वर्किंग वुमन हॉस्टल शहर के बाहर था और खस्ता हालत में था।
"मधु हॉस्टल में नहीं है।" बूढी वार्डन ने विवेक को घूरते हुए बताया।
"कब आएगी?"
"पता नहीं।"
"क्या वो सांता मरिया स्कूल में पढ़ाती है?"
"जा के खुद देख लो।"
विवेक को अब सांता मरिया स्कूल तलाश करना था, जो कदाचित शहर के उत्तर में था।
देवदुर्ग शहर स्थित, कंबाइंड मोटर्स कंपनी, जिसमे विवेक असिस्टेंट इंजीनियर था और मधु कंप्यूटर सेक्शन में काम करती थी, मंदी के मार से पाँच साल पहले बंद हो चुकी थी। उसी कंपनी के परिसर में उनका प्यार परवान चढ़ा था, लेकिन बेरोजगार हुआ विवेक कभी भी मधु से शादी की बात न कर सका और वापस अपने शहर चला आया था। आज पाँच साल बाद उसका फिर से देवदुर्ग से गुजरना हुआ तो उसने मधु से मिलने का निर्णय लिया, आखिर ये मधु का शहर था।
स्कूल तलाश करने में ज्यादा परेशानी न हुई। रिसेप्शनिस्ट उसे आगंतुक कक्ष में बैठा कर मधु को बुलाने चली गयी।
दस मिनट बाद हल्के पीले रंग की साडी पहने मधु आयी, उसे देख कर वो आश्चर्यचकित रह गयी, लेकिन फीकी सी मुस्कराहट के साथ बोली, "कैसे है आप?"
मधु के सवाल के जवाब में विवेक ने पूछा, "अच्छा हूँ, तुम्हारा यहाँ कैसा चल रहा है?”
"बच्चों को पढ़ाकर सम्मान की जिंदगी जी रही हूँ। तुम क्या कर रहे हो आजकल?”
"बेरोजगारी के आलम में कुछ ज्यादा ऑप्शन नहीं थे मेरे पास इसलिए कुछ और बेरोजगार मेकेनिक्स को साथ लेकर घर-घर जाकर घरेलू सामान ठीक करने का काम शुरू किया था। काम चल निकला तो मैंने ऑनलाइन रिक्वेस्ट लेने शुरू कर दिए, साल की मामूली सी फीस लेकर हमने लोगो को फ्री सर्विस देनी शुरू की, यदि खराब सामान में कोई पुर्जा पड़ता है और पुर्जा वस्तु का मालिक ला दे तो कुछ भी चार्ज नहीं करते है। धीरे-धीर काम चल निकला अब हम हर फील्ड में सेवा देते है, हमारी यूटिलिटी वैन हर जगह तैयार खड़ी है, कम्प्लेन आते ही सेवा प्रदान करने में तत्पर।"
"काफी होशियार निकले, शादी की?"
"फुर्सत ही नहीं मिली। और तुमने?"
"पापा शादी का दबाव बना रहे थे, तुम लौट के ना आये तो हारकर हाँ कर दी। लड़का दर्जे का निकम्मा निकला और एक दिन किसी और के साथ भाग गया। शादी तो न चल सकी लेकिन पापा का घर, कारोबार सब बिक गया और पापा भी न रहे।”
"मेरे कारण काफी बुरा हुआ तुम्हारे साथ।"
"जिंदगी है, सहानुभूति की जरुरत नहीं।"
"अब तुम्हारी जिंदगी में मेरी कुछ जगह है?"
"नहीं.....।”
"मैं इस शहर में भी अपना कारोबार बढ़ा रहा हूॅं और मुझे यहाँ का काम संभालने के लिए कोई चाहिए। तुम मदद करोगी?" थोड़ी निराशा के साथ विवेक बोला।
"जॉब ऑफर कर रहे हो?"
"नहीं मदद मांग रहा हुँ ।"
"ओके, तुम स्टार्ट करो मैं मदद करुँगी......., मेरी क्लास का टाइम हो रहा है, मैं चलती हूँ।" कहकर मधु उठ खड़ी हुई।
"ठीक है।" कहकर विवेक भी मुख्य द्धार की तरफ बढ़ गया।
