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कुमार संदीप

Inspirational

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कुमार संदीप

Inspirational

ज़िंदगी

ज़िंदगी

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मत कर घमंड 

इस मिट्टी के शरीर पर 

ज़िंदगी भर जिस लाल पर 

तू सबकुछ लुटाएगा 

अंत समय में वह लाल 

तुझे कफन भी नापकर

दिलाएगा

यही ज़िंदगी है


दुःख रहने के बहाने

छोडकर 

खुश रहने का हुनर ढूंढ 

कोई न साथ तेरा देगा

तू आया था अकेला 

और अकेला ही 

इस जग से जाएगा

यही ज़िंदगी है


भाई में भाईचारे का अभाव

देश से देश प्रेम का अभाव

बेटे का पिता से टकराव

ये सभी स्थितियां 

देखने को मिलती हैं आज 

यही ज़िंदगी है


मर कर भी जो 

गहरी छाप दिल पर

छोड़ जाते हैं

करते हैं सर्वस्व समर्पित 

देश रक्षा में ऐसा

अतुलनीय कार्य 

सैनिक ही कर पाते हैं

यही ज़िंदगी है।


देश की रक्षा में 

सैनिक की होती है 

अहम भागीदारी

न हो ये केवल सैनिक

की ही जिम्मेदारी

आम लोग भी करें

देश की रक्षा 

यही ज़िंदगी है



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