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Akanksha Gupta

Abstract Inspirational

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Akanksha Gupta

Abstract Inspirational

ज़िंदगी की सिलवटें

ज़िंदगी की सिलवटें

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क्या ज़रूरत नहीं हैं जीवन मे संघर्ष की

जो दृढ़ बनाये तुम्हें हर परिस्थिति के लिए 

क्या ऐसे ही बन जाओगे तुम दुनिया मे जिसे 

अनुभव ही नही जिंदगी की मुश्किलों का


फिर कैसे झेलोगे तुम दुनिया की दुश्वारियां

हर कदम छल कपट करते हैं इंतज़ार यहां

क्या तुम भी हार मान लोगे दूसरों की तरह

या ओढ़ लोगे तुम नकाब किसी शातिर की तरह


जिंदगी की सिलवटें जो चुभने लगे तुम्हें

समझ लो तुम्हारे भीतर स्वार्थ आ रहा है

जिसे फूल के काँटों से लगाव है तो बस इतना

क्योंकि यह फूल तुम्हारे घर को महका रहा है


नजरिया ना जाने कैसा तुमनें ये पाया हैं

कांटो पर तुमने मखमली कालीन बिछाया हैं

दिखावा किया तुमनें कांटो से छलनी होने का

और दुनिया मे महकते गुलाब का खिताब पाया है


यह महक गुलाब की ज्यादा समय तक साथ नही

जो ना सुलझाई सिलवटें ज़िंदगी फिर आसान नहीं

चुभन इन सिलवटों की तुम्हारा नया आयाम हैं

आने वाले समय में फिर विश्राम ही विश्राम हैं।


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