योग्य राजकुमार
योग्य राजकुमार
एक था राजकुमार बड़ा था दिलदार
प्रजा से भी था उसे बहुत प्यार
रखता था उनका बड़ा ध्यान
पर शिकार करना था उसे बड़ा ही प्रिय
इससे प्रजा को वो लगता था अप्रिय
सलाहकारों ने भी था उसे समझाया
बिन कारण मासूम प्राणियों को क्यों सताना
पर उस पर नहीं हुआ कोई भी असर
फिर इक एक ऋषि थे उधर से गुजरे
उन्होंने समझाया उसे और बोले हे वत्स
ये निर्दोष मूक प्राणी हैं भले ही बेजुबान
पर इनमें भी होता है सुख दुख का भाव
इनका शिकार कर आप नहीं बनेंगे वीर
बेईमान, पाखंडी, दुराचारी जो अराजकता हैं फैलाते
उनका शिकार कर उनसे राज्य को मुक्त क्यों नहीं कराते
शिकार कर ऐसे अपराधियों का दीजिए उन्हें दंड
प्रजा में शांति का प्रसार कीजिए यह होगा उत्तम प्रसंग
अपने राज्य को जो रखता है बुराई से मुक्त
वो होता है सच्चा योग्य राजकुमार।