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Babita Consul

Abstract

3  

Babita Consul

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योग

योग

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भोर  हुई आये आदित्य रथ पर सवार 

किरणें सुनहरी फैलायी 

स्वर्णिम बेला मे हो रहा तरंगित मन का कोना 

उपवन मे चले शीतल मंद बयार 

खिली कली ,पुष्प मुस्कायें 

भवँरे डोल रहे तितली इतरायी

उठो सवेरे त्याग आलस्य 

सवेरे सही समय योग करने का 

वंदन ना करो सुरज की 

पूरब की ओर मुख कर ......

होगा शरीर पुष्ट ,मन प्रकाशित 

बढेगी उर्जा जीवन मे ..........

जो खोज रहे हो जीवन सुख की कुँजी ....

सेहत है ,सुख की कुँजी 

तो रोज योग करना होगा 

योग के अभ्यास से रोग होते परास्त .....

जीवन मे सुख स्वास्थ्य का सुयोग बनता 

योग का पड़ता मन प्राण पर प्रभाव ....

होता संतुलन श्वास,आहार 

शरीर के साथ मन ,आत्मा 

को मिलती सकारात्मक ऊर्जा 

 बढाती हमारी कार्य क्षमता 

जो सतत योग करतें रहे 

होगा जीवन मे चमत्कारिक परिवर्तन 

योग से बदले जीवन शैली 

हो सोच सकारात्मक और 

परिपक्व 

सही मार्ग ढूंढने मे करता योग मदद.....

योग है वैज्ञानिक और आध्यात्मिक इससे 

शरीर मन होगा स्वस्थ .......।।


(योग मे सबसे पहले सुर्य वंदना की जाती है ।

सुर्य वंदना वैज्ञानिक है और ये आध्यात्म से भी जुड़ी है 

प्रातः सुरज की ओर मुख कर के सुर्य वंदना की जाती है।

जिसको करने से शरीर पुष्ट होता है ।मन मे प्रकाश भर जाता है ।जीवन मे उर्जा बढती है ।

सवेरे का समय ही योग साधना के लिए  सबसे उत्तम है 

मन की सारी वृत्तियों को रोक कर एक ही केन्द्र पर मन का ध्यान लगाने को योग कहते है ।

योग से मन सहज और अपने वश मे रहता है ।और जब मन वश मे होने लगता है तो हम सिद्धियों को पाने योग्य हो जाते है जो हमें सहज ही मिल जाती है यदि हम योग साधना करते है ।मन ही संसार मे सब से शक्तिशाली है ।और मन ही मनुष्य के बंधन और योग ही इस की पहली सीढी है ।

 स्वस्थ जीवन ही सब सुखो की कुँजी है । 

प्राचीन काल मे हमारे ऋषि मुनि योग से अनंत काल तक निराहार रहकर तपस्या करते थे ।और अनेक सिद्धियां पालेते थे ।और सौ वर्ष लम्बी आयु पा अपना जीवन निरोगी जीते थे )



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