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Writer Prakhar

Inspirational

4.4  

Writer Prakhar

Inspirational

यह अवसर है

यह अवसर है

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निराशा का नहीं, है क्षण आत्ममंथन का,

अवसाद का नहीं, पल है आशा के स्पंदन का,

जैसे प्रलय अनिवार्य है हर नवसंचार को,

वैसे ही अब यह अवसर है कि ललकार हो।


नहीं गये हैं सोए सिंह के मुख में मृग,

हुआ नहीं विजेता राह में सोया शशक,

जैसे चपलता अनिवार्य है हर जयकार को,

वैसे ही अब यह अवसर है कि हुंकार हो।


घुट घुट कर जीना ना अब स्वीकार हो,

बंधन त्याग महामानव तेरा अवतार हो,

जैसे प्रतिकार अनिवार्य है हर वार को,

वैसे ही अब यह अवसर है कि नवाचार हो।


थाम उम्मीदों का आंचल बढ़ता जाए हर पग,

साहस के पंखों पर यों उड़े जैसे उड़ते हों खग,

जैसे आवश्यकता अनिवार्य है हर अविष्कार को,

वैसे ही अब यह अवसर है कि कोरोना की हार हो।



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