STORYMIRROR

नमिता गुप्ता 'मनसी'

Abstract

2  

नमिता गुप्ता 'मनसी'

Abstract

ये रात..

ये रात..

1 min
118

एक पुल की तरह जोड़े रखती है

ये रात

दोनों तारीखों को,

पर, कई बार

छूटती हुई तारीखें

छूटती ही नहीं,

घेरे रखतीं हैं

सपनों को

अपनी पूरी बेचैनियत के साथ !!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract