ये मेरा इश्क था
ये मेरा इश्क था


देखा है कभी भटकी हुई
रूह का मातम
दीवानगी की दुछत्ती पर
जर्रा जर्रा घायल मगर
नृत्यरत रहा
एक तेरे लिए
और तू बेखबर
अब कौन गाये
सुहाग गीत
बेवाओं के
मातम हैं ये
और तुम खुश रहे
अपनी मुस्कुराहटों में
ऐसे में
उम्मीद का आखिरी
गज़र भी तोड़ दिया
अब सोखने को गंगा
जरूरत नहीं किसी जन्हु की
ये मेरा इश्क था
जो मुस्कुराहटें गिरवी
रख ख़रीदा था मैंने
फिर अलविदा कहने की
रस्म का भला क्या औचित्य ?