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SHWET SINGH

Abstract Classics Fantasy

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SHWET SINGH

Abstract Classics Fantasy

ये जिंदा शहर बनारस है

ये जिंदा शहर बनारस है

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मैं मोक्ष का पुष्प हूं ,

संस्कृति मेरी गालियां है 


खूबियां मेरी तुम गिन ना सको 

अनगिनत मेरी कलियां है।


वरुणा गंगा अस्सी का भार उठाती 

बाबा की नगरी पारस है,

ये जिंदा शहर बनारस है।


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