ये जिंदा शहर बनारस है
ये जिंदा शहर बनारस है
मैं मोक्ष का पुष्प हूं ,
संस्कृति मेरी गालियां है
खूबियां मेरी तुम गिन ना सको
अनगिनत मेरी कलियां है।
वरुणा गंगा अस्सी का भार उठाती
बाबा की नगरी पारस है,
ये जिंदा शहर बनारस है।
