ये दुनिया एक मेला है
ये दुनिया एक मेला है
अलग-अलग किरदारों से सजा,यह दुनिया एक मेला है,
टेढ़ी मेढी पगडंडियों सी ज़िन्दगी, सुख-दुख की बेला है,
भीड़ बहुत है इस दुनिया में, कोई अजनबी कोई अपना,
कहने को तो अपने बहुत पर हर इंसान यहांँ अकेला है,
पहचान है मुश्किल यहांँ, एक चेहरे पर लगे कितने चेहरे,
अपने छोड़ गैरों के पीछे भागे, ये इंसान बड़ा अलबेला है,
संभलकर चलो कितना भी, फिर भी धोखा खा ही जाते,
एक मोड़ पर सुकून है यहांँ तो अगले मोड़ पर झमेला है,
संघर्ष है, इम्तिहान है, कहीं फूलों की सेज तो कहीं काँटे,
चलना है इन सब को साथ लेकर, यही जीवन का रेला है,
कोई सह जाता तो कोई बह जाता, है सब इसी दुनिया में,
कोई समझे कर्मों का फल कोई समझे नसीब का खेला है,
कभी पराए बन जाते अपने, कभी अपने हो जाते बेगाने,
किसी की शहद सी मीठी ज़ुबान, कोई बड़ा ही कसैला है,
दौड़ रहे सब अपनी धुन में किसी को किसी की सुध नहीं,
प्यार, अपनापन एक तरफ़, दूजी तरफ़ स्वार्थ का थैला है,
सच भी यहीं है, झूठ भी यहीं, यहीं पाप है, यहीं पुण्य भी,
परोपकारी है कोई यहांँ तो कोई सांँप से अधिक विषैला है,
इन सबके बीच रहकर, वही बना पाता है अपनी पहचान,
जिसने दुनिया के इस मेले का हर एक दांव यहांँ खेला है।