यात्रा
यात्रा
ये जो मेरी यात्रा है
खुद से खुद तक पहँचने की
ये है मंदाकिनी सी पावन
निरंतर अविरल
नित नयी उर्जा से स्पंदित।
खोज लेना है मुझे
अंतर्मन के सभी रहस्य
कलई खोल लेनी है
काल के गर्त में ओझिल
सूक्ष्म आत्मा के सत्य की।
समझ लेना है मुझे
सम्पूर्ण विस्तार के साथ
परिकल्पनाओं से परे
था, है और होगा के बीच का
अबोध व अप्रत्यक्ष गूढ़ ज्ञान।
प्रशस्त कर लेना है मुझे
आगे का मार्ग
जो ले जायेगा मुझे
मेरे अनंत व अंतिम
गन्तव्य की ओर,
और इसी मनोरथ सिद्धी हेतु
धैर्य धारण कर के
शंति से शनै शनै
मन में दृढ़ संकल्प लिये मैं
प्रतिदिन यात्रा करती हूँ।
