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Krishna Bansal

Inspirational

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Krishna Bansal

Inspirational

यात्रा

यात्रा

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लम्बी यात्रा के दौरान 

सड़क के कई रूप देखें 

कहीं टूटी फूटी, 

कहीं समतल, 

कहीं खूब चौड़ी, 

कहीं एकदम तंग।


कहीं पहाड़ी,

कहीं सपाट मैदानी।


कहीं सड़क के दोनों ओर  

शीशम के घने छायादार वृक्ष,

छन छन कर आती धूप 

उनसे टकराकर 

बहती तेज़ हवाएं 

थोड़ी थोड़ी दूरी पर 

आश्रय स्थल, रेस्टोरेंट, 

होटल, मोटल 

कहीं मीलों मील 

सूखे मुंह में डालने को 

पानी की बूंद तक नहीं।

 

रात्रि समय 

चांद की चांदनी में 

चमचमाती सड़क और 

कहीं घुप्प अंधेरा। 

कहीं-कहीं जंगल की ओर से भागता आता हिरण या 

फिर नेवला।


मन में विचार उठा 

मानवीय जीवन यात्रा भी इस यात्रा से मिलती-जुलती नहीं है क्या?

 

कभी सुख कभी दुख, 

कभी आशा कभी निराशा, 

कभी प्रसन्नता कभी विषाद,

कभी खुशी कभी गम।


एक हाथ रंग में, 

दूसरा हाथ भंग में।

कभी दोस्त कभी दुश्मन 

कभी अपने कभी पराए।

 

कभी जीवन कभी मृत्यु।

पर असली व पूर्ण मानव तो वह है जो हर स्थिति में सम है।



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