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Sadhana B

Abstract

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Sadhana B

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यार मोबाइल

यार मोबाइल

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तुम्हारा आना हमें हमारे अपनों से जोड़ना एक अच्छी याद को हमेशा ताजा रखने की काम बहुत अच्छा निभाया है तुम्हें।

किंतु तुमने हमें अपने आसपास के लोगों से दूर किया और ना जाने किन किन से जोड़ दिया देश पर देश के लोगों को हमें पास ले आए पर अपनों से दूर कर दिया।


यार मोबाइल, तुमने हमें क्या क्या नहीं सिखाया घर बैठकर पूरी दुनिया के खबर रखना हथेली में दुनिया को लेकर घूमना यहां बैठकर वहां वहां के बातें जानना और ना जाने क्या-क्या सिखाया है तुमने पर रिश्ते टूटते थे तुमसे तुम्हारे आगमन से उसे जोड़ना नहीं सिखाया है तुमने।


कहीं दूर के दोस्तों से जोड़ दिया है तुमने पर घरवालों से किया अति दूर भूख प्यास सब मिटा दिया तुमने और न जाने क्या क्या दिखाया है तुमने तुम्हारे आने से न जाने हमने क्या-क्या सीखा है क्या-क्या पाया है और क्या-क्या खोया है किसी ने कुछ पाया है तो किसी ने कुछ खोया है।


यार मोबाइल

ना जाने तुम ने क्या क्या सिखाया है घर बैठकर शिक्षा प्राप्त करना शिक्षा देना और दुनिया के खबर पटना घर के काम आसानी से कर पाना मनोरंजन की तो तू पूरी व्यवस्था करता है पर तुमने किसी किसी के भविष्य के साथ कैसा खेल खेला है कि उन्हें अपने मां-बाप से बिछड़ने पर मजबूर कर दिया है लड़ाई झगड़े की करवाए हैं तुमने भाई बहनों के बीच में भाई-भाई के बीच में मां-बाप के बीच में बेटा बाप के बीच में और न जाने क्या-क्या करवाया है एक मोबाइल के चक्कर में।


यार मोबाइल

ना जाने तुमने क्या क्या सिखाया है किसी अमीर के बेटा को बिगड़ेल बनाया है।

तो किसी गरीब का बेटे को शिक्षक बनाया है। ना जाने किन-किन लोगों में लड़ाई हुई तुम्हें पाने के लिए कई गरीब और गरीब बंदे गए तेरे चाहने और कई लोगों ने अपने भविष्य को अंधकार की ओर धकेला है तुम्हारे आगमन से तो कई और ने अपने भविष्य को उजाले की ओर जाते हुए भी देखा है।


यार मोबाइल

तुमने घर बाइट के किस किसी को क्या-क्या नहीं सिखाया है खाना बनाने से लेकर समुद्र के उस पार रहे सवालों से भी बात करवाया है महसूस ही नहीं हुआ कि वह हमसे दूर है उनसे हमेशा हमें जोड़ कर रखा है पर परिवार के लोगों से दूर किया है तुमने।

पर तुम से जितने लाभ हुए इतने ही नष्ट भी हुए हैं पर तुम हमारे हमेशा से ही अच्छे साथी रहे हो जब तुम्हारे थार थे तब हम सब जुड़े हुए थे अब तुम्हारे तार नहीं रहे तो हम सब बिगड़े हुए हैं या ऐसा कहूं कि बिछड़ चुके हैं तुम्हारे तार को छोड़ने की वजह से।


ना जाने लोग खाना खाना भूल सकते हैं पढ़ना भूल सकते हैं लिखना भूल सकते हैं पर तुम्हें कभी नहीं भूल सकते मोबाइल तुम उन सबके कैसी आदत बन चुकी हो जिसे कोई चुरा ना नहीं चाहता या चाहता भी है तो वह हो नहीं पाता है किस-किस के आंखों पर ऐसा असर किया है तुमने कि उन्हें अपनी आंखें छुपाने पड़े या चश्मे लगाने पड़े पर तुम्हारा पीछा कभी ना छोड़ा।


यार मोबाइल।

तुम कितने प्यारे हो कितने रंगों में हो कितने कितने लोगों के हाथों में हो कितने-कितने के काम आसान करते हो इस वक्त तो पूरे बैंक के काम भी तुम ही कर रही हो तरकारी सब्जी मार्केटिंग सब कुछ तुम्हें से हो रही है इस मुश्किल घड़ी में हमारा इस तरह साथ देने के लिए तुम्हारा बहुत-बहुत धन्यवाद मोबाइल।


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