यादों की डगर
यादों की डगर
ये रास्ते ना जाने
कितनी तरफ खुलते हैं,
हर रास्ता मुझे अब भी,
क्यूँ तेरी याद दिला जाता है।
वो पीपल के पेड़ की तरफ
जाता रास्ता,
आज भी मुझे
मेरे गाँव मे बीते हुए
बचपन से मिला जाता है।
वो आज भी
तिकोने से होकर गुजरता रस्ता,
लड़कपन के उस पहले प्यार से
दिल को मेरे फिर महका जाता है।
वो ना खत्म होने वाला रास्ता,
वो तुम्हारे बाजू में बैठ,
रेडियो पर बजने वाले हर गाने को
साथ साथ गुनगुना लेना,
और कनखियों से एक दूसरे को देख
शरारत मे मुसकुरा जाना,
मुझे बस, तेरे और क़रीब
महसूस करा जाता है।
ये रास्ते कितनी तरफ खुलते हैं
हाँ, मगर जहाँ भी खुले बस
तेरे ख्यालों से ही होकर गुजरते हैं,
ये रास्ते.......।