यादों के लम्हे और माँ
यादों के लम्हे और माँ
जिंदगी काल के संग
चलती मचलती लम्हे गम
खुशी के जीती यादों में समेटे।
कुछ भुला देती कुछ के साथ साथ रहती।
जिंदगी में कुछ खास लम्हों
साथ जिंदगी अपनी चाल चलती।
जिंदगी के खास लम्हे प्यार
खुशी गम जुदाई आंसू मुस्कान
की कहानी आंखों देखा
जिया लम्हा बया करती।
जीवन के खास लम्हो को
यादों में जिंदा रखा है
कभी एहसास नही था ऐसा
भी कोई लम्हा होगा बेदर्दी।
ना होगी माँ रह जायेगी सिर्फ
उसकी यादों की परछाई।
कभी ख्वाब खयालो में भी
इल्म नही आएगा ऐसा भी
लम्हा छूट जाएगा माँ का
आँचल प्यार परवरिस का
साया रह जाऊंगा तन्हा हद की हस्ती।
सुबह प्यार से उसका जगाना
रात लोरी कहानी सुनाना
कही कुछ भी हो जाये अपने
लाड़ले की नज़र उतारना भगवान
को कभी दुआ देती कभी कोसती।
उसकी सारी दौलत खुशियो का
खजाना उसकी औलाद हर लम्हे
में देती सलामती का आशीर्वाद।
लम्हे लम्हे बेटे को देखती होता
जवान लाखो सपनो को देती
लम्हा लम्हा आवाज मेरा लाडला
भगवान का वरदान।
बचपन की किलकारी किशोर का
लम्हा लम्हा माँ की ममता की डोर
उसके आरजू अरमानों की भाव
भावनाओं का मेरी जान माँ के
लम्हे लम्हे जिंदगी की सच्चाई मान।
माँ की तपस्या त्याग की हकीकत
का लम्हा आने लगा पास माँ की
मुस्कान से मुस्कुराता सूरज चाँद।
शायद भगवान को मंजूर नही था
माँ की खुशियो का लम्हा नाज़।
जाने किस्मत कब रुठ गई माँ
ना जाने कहाँ चली गयी उसके
अधरों पर मुस्कान थी मगर अचेतन
अरमानो की अधूरी प्यास
नज़रो में विश्वास था खुद के सपनो
की हकीकत की आशा।
अरमानो की उसकी औलाद काल
कारनामों के लम्हो को समझ
नही पाई शायद था नादान।
विश्वास नही था माँ अब संग नही
सिर्फ उसके अरमानो की यादें
इरादों की औलाद लम्हा लम्हा
यादों की जिंदगी का आसरा जिंदगी का साथ।
