यादें
यादें
खटास दरकिनार करके बाणी में मिश्री घोल दो,
जो मन में थी बातें आज वो सब हमसे बोल दो,
बिखराव कि जाने कितनी ही लकीरें खिंच गई हैं,
नफरत की इस दुनिया में रिश्ता सच्चा ही रहने दो,
बिसरी स्मृतियों के दीप जलाकर इस सूने दिल में,
फिर से जगह बनाकर यादों की तस्वीर खोल दो,
वो सुनहरी सुबह और वो नारंगी शाम साथ लिए ,
सुहाने सफर में चलो सतरंगी सभी रंगों को बुन दो,
दिल में ना रखो यूँ ही कुछ भी गिले-शिकवे अब,
सभी गिले-शिकवे को भुलाकर प्यार के रंग भर दो,
अतीत की सुंदर यादें आज मन में हलचल करती हैं,
उन यादों के गुलशन में तुम अरमानों के फूल भर दो,
आज अतीत की सुंदर यादें मन में हलचल करती हैं,
पर यादों को समेट कर मन की वो हर बात कह दो,
ऐ दिल चल संग मेरे तू विश्वास का दामन थाम कर,
नई आशाओं के लिए सुख की ओर मुख मोड़ दो।