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Jagriti Verma

Romance Tragedy

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Jagriti Verma

Romance Tragedy

यादें

यादें

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आज भी तुमसे मिलती हूँ,

जब उन राहों में चली हूँ। 

जहाँ हम मिल जाते थे,

अंजाने से मिली आँखो को

घबरा के झुकाते थे।


फिर देख के एक दूजे को,

अपनी राह पकड़ते थे।

आज जब तुमसे मिलती हूँ,

ना तुम ही घबराते

हो ना में ही घबराती हूँ।


बस एक दूजे की आंखों में,

हम तो खो जाते हैं।

ना जाने कितनी बातें ,

मैं तुमसे यू ही कह जाती हूँ। 


तुम भी तो बिना झिझके,

ना जाने क्या क्या कह जाते हो।

मैं तुम्हारे गले लगकर,

कितने आँसू रोती हूँ। 


पर जब आखें खोलू तो,

तुमको कहीं ना पाती हूँ। 

उन्ही भरी पलकों से,

लौट के घर को आती हूँ। 


फिर नई सुबह को,

तुमसे मिलके बिछड़ने को,

मैं फिर वही चली जाती हूँ। 


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