यादें
यादें
यादों का क्या कहना जब तक जो साथ दे यादें जन्नत की नूर लगती है,
ज़िन्दगी की खूबसूरत हूर लगती है,
पर फिर जब ज़िन्दगी में एक दर्दनाक पल आए और यादें देने वाला छोड़ जाए तो वही यादें मातम की शहनाई बनती है,
वक्त रुक जाता है ज़िन्दगी नर्क लगती है।
इसलिए, यादों के डायरी में से उन पुराने पन्नों को टुकड़ों में बांटकर जलाना होगा,
धोखेबाज का दाहसंस्कार कर,
राख को गंगा में दफनाना होगा,
क्योंकि ज़िन्दगी एक क्रूर तानाशाह के तरह है जिसको आपके इमोशन्स से घंटा फ़र्क नहीं पड़ता,
वो किसी का इंतज़ार नहीं करती,
इसलिए दिल को फिर से जोड़कर,
ज़िन्दगी की नई और खूबसूरत डायरी फिर से लिखनी होगी,
यादें फिर से बनानी होंगी,
इस दफ़ा किसी के साथ की कम खुद के साथ की ज्यादा,
ताकि यादें जन्नत की नूर और ज़िन्दगी की खूबसूरत हूर बनकर आपके जहन में सदा के लिये अमर हो जाए।
