यादें
यादें
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किताब के उन पन्नों से आज फिर मुलाकात हुई..
धुंधली सी कुछ यादे फिर दिल में घर कर गई..
याद है तुम्हें वो लम्हा, जब हम पहली बार मिले थे..
झिझक सी थी मन में जब हम दोस्त बने थे..
अब मुझको तुम्हारी आदत सी हो गई ..
तेरी हसीं मेरे चेहरे की खुशी बन गयी है..
मेरे दिल की बात तुम बिना कहे जान लेते हो..
थोड़े से झगड़े के बाद खुद ही मान जाते हो..
खुशी ओर गम साथ बाँटना चाहती हूं ..
हर लम्हे को अब यादगार बनाना चाहती हूं..
लम्हों की ये किताब मैं साथ ले कर जाऊँगी..
गुजरे हुए पल की दास्तान फिर किसे सुनाउंगी??
इन लम्हों को मैं फिर से नहीं जी पाऊंगी..
तेरे जैसा दोस्त मैं फिर कहां से लाऊँगी??
प्यारे से पलों का घरोंदा बना कर दूर चली जाऊँगी..
तुझसे मिलने की ख्वाहिश में भीगी पलकों के साथ मुस्कुराउंगी।।