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Ragini Jadoun

Romance Classics

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Ragini Jadoun

Romance Classics

प्रेम

प्रेम

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लिखता रहूं तुझे मै जीवन भर, 

मैं लेखक तो लेखनी तुम बन जाओ ! 

हो अंतर बस इतना की, 

मैं कलम तो तुम स्याही प्रिये !


मैं किसी किनारा सा, संग तेरे चलता रहूँ ! 

तू किसी दरिया सी, मुझे लहरों सी छेड़ जाए !


मैं किसी कोहसार सा, तुझे ताकता रह जाऊँ ! 

तू किसी अब्र सी, मुझे चूम जाए !


पथिक सा मैं, तुम हो पीपल की छाया ! 

मैं प्यासा तो, तुम तृप्त करती मेरी काया ! 


तजते नहीं तजता उसका मोह-माया।

क्या करूँ ? अब तू ही बता... 

एक तुम ही तो हो जिसके सिवा न कोई दूजा भाया ! 


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