व्यथा!
व्यथा!
हरदम एक ही किस्सा, उनवान बदल कर आता है
वही पुराना गम है, पहचान बदल कर आता है
घड़ी की सुई अब भी वहीं लौट कर आती है
वक़्त बदलता नहीं है, इंसान बदल कर आता है
कलम, शराब और ग़ज़ले, और ना जाने क्या क्या
एक ही मर्ज़ की खातिर सामान बदल कर आता है।