तू था...
तू था...
बहते हुए किसी शांत समंदर सा था तू,
खिले हुए किसी फूल की मुस्कुराहट सा था तू।
हर गम को हसी तले दबा लिया करता था तू,
मुझे देख कर मंद- मंद मुस्कुरा दिया करता था तू।
हर गम मेरे साथ बाट लिया करता था तू,
बात बात मे मुझे गले लगा लिया करता था तू।
साथ चलती मेरी परछाई सा था तू,
समंदर की असीम गहराई सा था तू।
सुकू देने वाले किसी गीत सा था तू,
हर पल साथ देते मेरे मीत सा था तू।
हर सर्दी मे धूप सा था तू,
ईश्वर के हर रूप सा था तू।
बहते हुए किसी शांत समंदर सा था तू,
खिले हुए किसी फूल की मुस्कुराहट सा था तू.....।