व्यथा प्रेम की
व्यथा प्रेम की
जब- जब सच्चा प्यार करने वाले
किसी को अपना बनाना चाहते हैं,
दुनिया वाले जाति- धर्म की आड़ में
उन्हें सताना चाहते हैं।
मासूम सी आँखों में उनकी
उस समय
सामाजिक नियमों से मुक्त
सपने हुआ करते हैं हज़ारों,
विश्वास होता है उन्हें नियत पर अपनी
वक्त की करवटों से ज्यादा।।
परन्तु जब- जब होती है वक्त
की जीत
और मिलती है न सच्चे लोगों को
कहीं जगह,
होता है दिल द्रवित मेरा
मोम की तरह।
क्योंकि देखकर रील लाइफ में
प्रेम विवाह और अश्लील दृश्य
समाज के ठेकेदार लोग
परिवार के साथ तालियाँ तो
खूब बजाते हैं,
देना हो कोई भाषण तो
मंच पर समाँ भी खूब बँधाते हैं।
परन्तु रियल लाइफ में
ऐसे प्रेम विवाह करने वाले
मासूम जोड़े
कुछ मार दिए जाते हैं
ऑनर किलिंग के नाम पर,
तो कुछ को पकड़ लेता है
"एन्टी रोमियो स्क्वायड"-
सरकार के फरमान पर।।
यह कविता उन सच्चे प्रेमियों की व्यथा का वर्णन करती है जो
जाति धर्म को चुनौती देते हुए प्रेम विवाह करने का जोखिम
उठाते हैं और दोहरे चरित्र वाला समाज उनके रास्तों में अवरोध उत्पन्न करता है।