वसुधैव कुटुंबकम्
वसुधैव कुटुंबकम्
हर प्रजातियों से बना है यह परिवार,
वसुधा पर बसा है, ये सुहाना
सबका संसार,
यहां आफ़तों सिलसिला,
होता है बार-बार,
और इससे बच निकलने की,
कोशिशें होती हैं लगातार।
आओ मिलकर सब साथ रहें,
सुंदर से जीवन का उद्धार करें,
निर्मल पावन हो जाए धरती,
कुछ ऐसा बेहतरीन काम करें।
कुदरत की अहमियत को,
हम दिल में उतारे,
वसुंधरा की मनचली,
ख़ूबसूरत नींव संवारे,
भेदभाव का मर्म भूलकर,
जनसेवा में दिल खोलकर,
हरेक की ज़रूरत को समझे,
मिल-जुलकर जीए सारे।
जैसे परिवार के हर सदस्य से,
होती है शान,
वैसे हर मखलूक से,
वसुधा में आती है जान,
आओ सब मिलकर,
संकल्प करें आज ये हम,
जाने सब से मिलकर ही बना है,
वसुधैव कुटुंबकम्।