वसुधैव कुटुंबकम्
वसुधैव कुटुंबकम्
वक़्त बीतने का एहसास तो था एक
सूरत भी नेक सीरत भी नेक
प्यार यूं उमड़ेगा इसकी बात ही क्या
अंदाज़े गुफ्तगू चाहे अनेक।
ग़ैर ज़रूरी दूरियां हटाते हुए
सुख का सांस लेते हुए
दृढ़ संकल्प ले मिलकर रहेंगे
वसुधैव कुटुंबकम् साकार करते हुए।
रोशन रहे वो तस्वीर
जिसकी राहें हों तनवीर
तक़दीर से तदबीर बनाएं
या बने तदबीर से तक़दीर ।
प्यार की बौछार बनी रहे
स्नेह भरी बात चलती रहे
ऐसी भावना बनी रहे तो अच्छा है
अन्यथा भावहीन बन जाएंगे।
परिस्थितियों को परखें तो अच्छा है
अन्यथा उलझनों में उलझ जाएंगे
सरलता में जीवन सार समझें तो अच्छा है
नहीं तो समाधान ही ढूंढते रह जाएंगे।
बात होती रहे तो अच्छा है
वरना बात करना भूल जाएंगे
घर में रहें तो अच्छा है
वरना घर का रास्ता भूल जाएंगे।
