Vijay Kumar parashar "साखी"

Abstract Tragedy Inspirational

4.5  

Vijay Kumar parashar "साखी"

Abstract Tragedy Inspirational

"वृक्ष हजार"

"वृक्ष हजार"

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जो जीवन में लगाते है,वृक्ष हजार

वो जीवन में बन जाते है,गुलजार

गर्मी नहीं सहते, छांव पाते अपार

जो जीवन में वृक्षों से करते,प्यार


वृक्ष है, शुद्ध पर्यावरण का आधार

वृक्षों के बिना सब जीव है, लाचार

वृक्ष से हुआ प्राण वायु का संचार

वृक्षों के बिना, सबकुछ है, बेकार


बढ़ती जनसंख्या का यह भार

ऊपर से स्वार्थी मनुष्य व्यवहार

बढ़ा रहा है, ग्लोबल वार्मिंग वार

इससे खत्म हो रहा,सुखी संसार


वृक्ष कमी, लाई बीमारियां,बेशुमार?

क्या कोरोना, क्या अन्य बुखार

गर हम लोगों ने न किया, सुधार

शुद्ध हवा मूल्य देना होगा, हजार


कटते वृक्ष प्रदूषण के उपहार

कम वृक्ष, मनु के होंगे कारागार

सभी लोग वृक्ष लगाओ हजार

जीवन मे कभी न पड़ोगे बीमार


चाँद को क्या कहेंगे, दागदार?

भविष्य में भू होगी, दागदार

वृक्ष कमी से चलेगी, तलवार

आदमी जायेगा,सबकुछ हार


आपस में होगी बहुत ही रार

वृक्षों से हमने न किया प्यार

वृक्ष काटते, रहे यूँ ही नर-नार

मिट जायेगा भू हरा-श्रृंगार


वृक्षों का खत्म होता हुआ, भार

मरुस्थलीकरण बढ़ा रहा, धार

वर्तमान समय की यही पुकार

बिना वृक्षों के न होगा, चमत्कार


अच्छी वर्षा का एक ही इकरार

वृक्ष लगाओ, आप लोग हजार

वृक्ष कर देंगे, हम सब का उद्धार

वृक्ष काटने का न करे, अपराध


हिंद में तीस, विश्व में तेईस प्रतिशत,

हुआ है, मरुस्थलीकरण का प्रसार

जिससे कम हुआ हरियाली संसार

मरुस्थलीकरण का एक ही उपचार


सब लोग लगाओ, बस वृक्ष हजार

मिटेगा पतझड़, फिर आएगी बहार

वृक्षों से हो जायेगा ऐसा उजास

चहुँ ओर का मिट जायेगा अंधकार


अपनी गलती ले, सब मनु स्वीकार

वृक्षों से सब लोग करे यहां, दुलार

लगाये आंगन में वृक्ष, सब समझदार

ख्याल करे, पुत्र जैसा दे, उन्हें प्यार


सबलोग बने बस यहां ईमानदार

वृक्ष लगाने का करे, बस यलगार

बढ़ते वृक्ष लाते खुशहाली त्योहार

वृक्ष लगाओ, बनाओ सुंदर संसार



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