STORYMIRROR

Akanksha Gupta

Abstract

3  

Akanksha Gupta

Abstract

वृद्धावस्था का उपहार।

वृद्धावस्था का उपहार।

1 min
583


मेरी वृद्धावस्था में मेरे बच्चों ने,

मुझे वही उपहार दिया।

जो मैंने दिया था अपने माँ बाप को,

उनकी वृद्धावस्था में।


मेरे जीवन के हर कदम पर,

जिनका था सहारा।

उनको दी थी मैंने,

बैसाखी उपहार में।


मेरे जीवन के हर शब्द,

जिनके लिए था उपनिषद।

उनको दिया था मैंने,

मौनव्रत उपहार में।


मेरे जीवन का हर स्पर्श,

जिनके लिए थी

हल्की बूंदाबांदी सी।

उनको दी थी मैंने,

धूप की तपिश उपहार में।


मेरे जीवन का हर पल,

बीता जिनकी छत की नीचे।

उनको दिया था मैंने,

वृद्धाश्रम उपहार में।


मेरी वृद्धावस्था में मेरे बच्चों ने,

मुझे वही उपहार दिया।

जो मैंने दिया था अपने माँ-बाप को,

उनकी वृद्धावस्था में।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract