वृद्धाश्रम
वृद्धाश्रम
बच्चे जब छोटे होते मेरी माँ मेरी माँ कहते हैं,
करते लड़ाइयाँ भाई-बहनों से कहते माँ मेरी है।
बच्चे जब बड़े हो जाते, रहता नहीं उनसे सरोकार,
तेरी माँ तेरी माँ करते रहते, करते हैं उनका तिरस्कार।
बँटवारा कर लेते माँ का, कुछ दिन इनके कुछ दिन उनके घर।
बोझ समझ लेते हैं, जिन्होंने किया पालन कर देते उनको बेघर।
प्यार दुलार से जिसको बड़ा करती, स्नेह अपार वो करती हैं।
खुद भूखे रह के भी माँ, कभी बच्चे को भूखे नहीं रखती है।
उसी माँ को करके बेसहारा राहों में छोड़ देते हैं,
करके वृद्धाश्रम के हवाले मुंह उनसे मोड़ लेते हैं।
