वो...तुम ही तो...
वो...तुम ही तो...
हाँ तुम मौसम ही तो हो
वो जो घिर के बरसती है और मेरे दिल
के धरातल को भीगा जाती है..!!
बारिश की वो फुहार तुम ही तो हो
हाँ तुम मौसम ही तो हो
गुलाबी सर्दियों की ठिठुरन में
बदन में उठती सिहरन में
मेरे मन के अम्बर पर
छाये घने कोहरे में
खिलती नर्म धूप की
गर्माहट के एहसास में
तुम ही तो हो..
हाँ तुम मौसम ही तो हो
झुलसाती गर्मियों की दहक में,
नीरस सी गुजरती रात में.
उजाड़ से ठहरे हुए
बेलौस उदास दिन में
कभी न बुझने वाली प्यास में
तुम ही तो हो:
हाँ तुम मौसम ही तो हो:
तुम्हारी उदासी पतझड़ जैसी
तुम्हारी मुस्कान बसंत की बहार
शज़र से बिछड़े पत्तों में तुम
तुम ही महकते बासंती बयार
हाँ तुम मौसम ही तो हो..!