वो पगली सी दीवानी सी
वो पगली सी दीवानी सी
वो पगली सी दीवानी सी,
सपनों में मेरे आती है,
आहट उसकी, जैसे दिल में,
हलचल सी कर जाती है।
झुकी नजर उसकी,
जैसे मुझको पागल कर जाती है,
वो पगली सी दीवानी सी,
सपनों में मेरे आती है।
आईना है उसकी नज़रें,
जो सब कुछ बतलाती है,
वो है पागल,
जो दिल को झूठा बतलाती है।
लगती है प्यारी,
जब खुद ही वो शर्माती है,
वो पगली सी दीवानी सी,
सपनों में मेरे आती है।
कहता है जमाना कि,
वो तो पागल है,
बे-वजह,
जब-जब वो मुस्कुराती है।
जमाने को क्या पता,
कि वो मुझसे क्यों शरमाती है,
वो पगली सी दीवानी सी,
सपनों में मेरे आती है।
जब आँखें मेरी मदहोश,
चेहरे से उसके,
मिलकर आती हैं,
काश वो समझ पाती कि,
कितना मुझको वो तड़पाती है।
खो गया हूँ मुझसे मैं,
न नींद मुझको अब आती है,
वो पगली सी दीवानी सी,
सपनों में मेरे आती है।

