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Atul Kumar

Abstract Tragedy Others

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Atul Kumar

Abstract Tragedy Others

हाल भी सवाल भी

हाल भी सवाल भी

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अदृश्य सी महामारी

कुछ.. कहते, इसको जाल है।

घायल हुआ, हर मकां मुल्क का

ऐसा हुआ.. यहाँ पर हाल है।


बचाव हैं.. दवाई भी

जिस पे बेवजह सवाल है।

यहाँ ज्ञान बटे, सिर्फ खातों पर,

बस यही तो इक बवाल है।


आँख भरीं, प्राण वायु खाली,

रुकती साँसें भी, करतीं अब सवाल हैं।

हुआ नहीं जो अब तक ऐसा,

यहाँ.. अब ऐसा क्यों ये हाल है?


महामारी में ये रैली कैसी?

जाती जानो का ये अंतिम सवाल है।

जीत बड़ी? या जाती जानें?

हुक्मरानों तुमसे भी ये सवाल है।



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